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________________ गुजराती अर्थ :- अतिदुर्लभ एवो आ प्रसंग प्राप्त थयो छे एम जाणीने हे हृदय! प्रयत्नपूर्वक विचारेल कार्यमा निर्विघ्न पणे इष्ट प्राप्ति थशे।। हिन्दी अनुवाद :- अतिदुर्लभ ऐसा यह प्रसंग प्राप्त हुआ है ऐसा जानकर हे हृदय! प्रयत्नपूर्वक चिंतित कार्य मे विघ्न रहित इष्ट की प्राप्ति होगी। गाहा : एवं हि कए तायस्स देइ दोसं न किंपि रायावि। दूसह-विओय-दुक्खस्स होइ एवं च वोच्छेओ।।१६३।। संस्कृत छाया : एवं हि कृते तातस्य ददाति दोषं न किमपि राजापि। दुस्सह-वियोग-दुःखस्य भवति एवं च व्युच्छेदः ||१६३।। गुजराती अर्थ :- आ प्रमाणे करे छते गन्धवाहन राजा पण पिताने कांई दोष नही आपे। अने दुःसह एवा मारा वियोग रूपी दुःखनो पण नाश थशे!" हिन्दी अनुवाद :- इस प्रकार करने से गन्धवाहन राजा भी पिता को कुछ दोष नहीं देगा और दुःसह वियोग रूप दुःख का भी नाश होगा"। गाहा : मरण साहस एमाइ-बहु-विगप्या भणिऊणं चित्तवेग! सा बाला। कय-मरणज्झवसाया आरूढा अह तमालम्मि।।१६४।। संस्कृत छाया : एवमादि-बहुविकल्पान् भणित्वा हे चित्रवेग! सा बाला। कृत मरणाध्यवसाया आरुढ़ा अथ तमाले।।१६४।। गुजराती अर्थ :- "हे चित्रवेग! इत्यादि बहुविकल्पो कहिने हवे ते बाला (कनकमाला) करेला मरणना अध्यवसायवाळी ते तमाल वृक्षपर आरूढ़ थई! हिन्दी अनुवाद :- हे चित्रवेग! इत्यादि कहकर अब वह बाला अपघात (आत्महत्या) करने के लिए तमाल वृक्ष पर आरूढ़ हुई। गाहा : दहण साहसं तीइ नवरि देहं पकंपियं मज्झं। न वहइ वाया कहवि हु थक्काओ सव्व-संधीओ।।१६५।। संस्कृत छाया : दृष्टवा साहसं तस्या नवरं देहं प्रकम्पितं मम | न वहति वाचा कथमपि खलु स्थिताः सर्व-सन्धयः||१६५|| 189 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525058
Book TitleSramana 2006 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2006
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size9 MB
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