SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 188
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ हिन्दी अनुवाद :- ऐसा सुनकर मेरे चित्त में विकल्प उत्पन्न हुआ निश्चय ही छुपकर इसने पिता के वचन सुने हैं। गाहा : तेणेव इमा मन्ने जाया विच्छाय-वयणिया बाला। ता जाव एत्थ गंतुं विरूवमायरइ नवि किंचि ।।१४१।। संस्कृत छाया : तेनैवेयं मन्ये जाता विच्छायवदना बाला । तस्माद् यावदत्र गत्वा विरुपक-माचरति नापि किंचित् ।।१४१।। गुजराती अर्थ :- तेथी ज आ म्लानमुखवाळी थई छे तेम हुं मानु छु। तेथी ज्यांसुधी जईने ते काई विरुद्ध आचारण करे नहीं। हिन्दी अनुवाद :- वह इसी कारण म्लानमुखवाली हुई है ऐसा मानती हूँ, अत: वह जाकर जहाँ तक कोई विरूद्ध आचरण नहीं करेगी। गाहा : ता सिग्धं चिय गंतुं निवारणे तीए उज्जमामित्ति। एवं विचिंतयंती अणुमग्गेणेव चलिया हं ।।१४२।। युग्मम् ।। "संस्कृत छाया :तावत् शीघ्रं एव गत्वा निवारणे तस्या (उद्यमं करोमि) उद्यच्छामि इति। एवं विचिन्तयन्ती अनुमार्गेण इव चलिताऽहम् ।।१४२।। युग्मम् ।। गुजराती अर्थ :- तेथी हुं जल्दी जईने तेणीना आत्मघातादीना निवारणमा उद्यमवंत थउं एम विचारीने ते ज मार्गने अनुसरती गई। हिन्दी अनुवाद :- ऐसा सोचकर उसी मार्ग का अनुसरण करती उनका अशुभ निवारण करने के लिए मैं वहाँ गई। गाहा : पत्ता य घरुज्जाणे इओ तओ तग्गेवसण-निमित्तं । जा परियडामि अहयं घण-तरु-यर-संकडिल्लम्मि।।१४३ संस्कृत छाया : प्राप्ता च गृहोद्याने इतस्ततः तद्-गवेषण-निमित्तम् । यावत् पर्यटामि अहं घनतरूवर-संकटे ।।१४३।। गुजराती अर्थ :- गाढ़ वृक्षथी व्याप्त गृहउधानमां पंहोची अने तेने शोधवामाटे अहीं - तहीं ज्यां सुधीमां भमु छु त्यां सुधीमां - 182 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525058
Book TitleSramana 2006 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2006
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy