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________________ गाहा : भाई द्वारा आज्ञा अह भाओ भाणुवेगो समागओ पहसिओ ममं भणइ । चूयलया-वयणमणुसरिउं । । १ । । गम्मउ उज्जाणम्मि श्रीमद्धनेश्वरसूरिविरचितं सुरसुंदरीचरिअं चउत्थो परिच्छेओ संस्कृत छाया : अथ भ्राता भानुवेगः समागतः प्रहर्षितो मां भणति । गम्यतामुद्याने चूतलता वचनमनुस्मृत्य ||१|| गुजराती अर्थ:- हवे हर्षित थयेलो भाई भानुवेग मारी पासे आव्यो अने मने कहेवा लाग्यो के, "चूतलताना वचनने याद करीने तुं उद्यानमां जा।” हिन्दी अनुवाद :- अब हर्षयुक्त भाई भानुवेग मेरे पास आया और मुझे कहने लगा कि, "चूतलता के वचन को याद कर के तूं उद्यान में जा । " गाहा : हरिसाऊरिय- हियएण ताहि एवंति जपमाणेणं । तक्कालुचियं जाव य कायव्वं काउमारद्धं ।। २ ।। संस्कृत छाया : हर्षातुरित-हृदयेन तदा एव मिति जल्पमानेन । तत्कालोचितं यावच्च कर्तव्यं कर्तुमारब्धम् ।।२।। गुजराती अर्थ :- त्यारे हर्षथी घेला थयेल हृदय वाला अने “हा” ए प्रमाणे बोलता मारा वडे ते कालने उचित जे करवा योग्य हतु ते करवा माटे प्रारम्भ करायो । हिन्दी अनुवाद :- तब हर्षयुक्त हृदयवाले मैंने भी "हाँ" इस प्रकार कहते हुए तत्काल उचित करने लायक कार्य का आरम्भ किया। गाहा : वाद्यनाद एत्थंतरम्मि निसुओ मंगल तूरस्सगहिर निग्घोसो । पुट्ठो य मए भाया कत्थ इमं वज्जए तूरं ? ।। ३ ।। Jain Education International 135 - For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525058
Book TitleSramana 2006 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2006
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size9 MB
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