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________________ साहित्य सत्कार : १२९ है कि मुनि जीवन से सम्बन्धित प्रत्येक विधि-विधानों की विस्तृत और व्यापक व्याख्या ग्रन्थ को महत्त्वपूर्ण ही सिद्ध नहीं करता अपित इस प्रकार के सभी ग्रन्थों में अपना वर्चस्व स्थापित करता है। मुनि जीवन से सम्बन्धित विधि पर तो अब तक अनेकों ग्रन्थ लिखे गये हैं किन्तु षोडश संस्कारों का वर्णन अलग-अलग ग्रन्थों में यदा-कदा ही मिलते हैं। संस्कारों पर इतना व्यापक और प्रामाणिक ग्रन्थ इससे पहले मुझे देखने को नहीं मिला। नि:संदेह साध्वी जी ने इस ग्रन्थ का अनुवाद कर अत्यन्त सराहनीय कार्य किया है और 'आचार दिनकर' का हिन्दी अनुवाद कर तथा उसपर शोध-ग्रन्थ लिखकर पाठकों को आत्मविकास का मार्ग दिखाया है। साथ ही प्रचलित विधिविधानों को नवीन दृष्टिकोण प्रदान कर उसकी मूल्यवत्ता को बढ़ाया है। आशा है यह पुस्तक शोधार्थियों के लिये अत्यन्त उपादेय सिद्ध होगी। ग्रन्थ की वाह्य साज-सज्जा आकर्षक व मुद्रण त्रुटिरहित है। डा० शारदा सिंह 3. भैया भगवतीदास व उनका साहित्य, लेखक- डॉ. उषा जैन, प्रकाशकअखिल भारतीय साहित्य कला मंच, मुरादाबाद (उ.प्र.), मूल्य 250 रु. साइजडिमाई। __प्रस्तुत ग्रन्थ डॉ. उषा जैन द्वारा विरचित है। हिन्दी जैन साहित्य के इतिहास में जैन कवियों का उल्लेखनीय योगदान रहा है। किन्तु कवियों की कृतियां प्रायः उपेक्षा की शिकार हुई हैं । यही कारण है कि विशाल हिन्दी जैन साहित्य आज भी उपेक्षित पडा अपने मूल्यांकन की प्रतीक्षा कर रहा है। हिन्दी जैन साहित्य पर जो कतिपय कृतियां सामने आई हैं वे विशाल जैन साहित्य के सामने नगण्य हैं। जैन कवियों ने १२वीं -१३वीं शताब्दी में लघु काव्यों की रचना की जिनका हिन्दी साहित्य में अपना अलग ही महत्त्व है। सन् १३३४ में 'जिणदत्त चरित' ने प्रबन्ध-काव्य की परम्परा शुरू की थी। इसी प्रकार 'प्रधुम्न चरित' ने प्रादेशिक भाषाओं को समृद्ध बनाने का सफल प्रयास किया। १६वीं शताब्दी में बूचराज, चतरूमल, गौरवदास, तुक्कुरसी जैसे प्रसिद्ध जैन कवि हुए। इसी समयें ब्रह्मजिणदास हुए जिन्होंने २० से अधिक रास लिखकर एक कीर्तिमान स्थपित किया। १७वीं और १८वीं शताब्दी जो हिन्दी साहित्य का स्वर्ण युग था,में भट्टारक रत्नकीर्ति, कुमुदचन्द्र, बनारसीदास आदि की कृतियों Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525058
Book TitleSramana 2006 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2006
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size9 MB
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