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१२४ : श्रमण, वर्ष ५७, अंक २ / अप्रैल-जून २००६
देवी एक धर्मपरायण, अत्यन्त सरल स्वभावी एवं मधुरभाषिणी महिला थीं। दुःखी .. व्यक्तियों की सेवा एवं परकल्याण को आप पूर्णतया समर्पित थीं। आप अपने पीछे अपने चार सुपुत्रों, दो बेटियों का भरापुरा परिवार छोड़ गयी हैं।
श्रीमती लीलावती देवी के निधन का समाचार मिलते ही विद्यापीठ परिवार शोक संतप्त हो गया। सबने श्री जिनेन्द्रदेव से श्री ओमप्रकाश सिंह एवं उनके परिवार को इस दुःख को सहन करने एवं मृतात्मा को शान्ति प्रदान करने हेतु प्रार्थना की। 'भारतीय इतिहास, संस्कृति, कला एवं पुरातत्त्व के मूर्धन्य विद्वान
प्रो. रमेश चन्द्र शर्मा नहीं रहे' (29 जुलाई 1936 - 28 मई 2006) वाराणसी, २८ मई, २००६ को भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं कला
के लब्धप्रतिष्ठ विद्वान प्रो. रमेशचन्द्र शर्मा का हृदय गति रुक जाने से असामयिक निधन हो गया।
प्रो. रमेश चन्द्र शर्मा, ज्ञान-प्रवाह-सांस्कृतिक अध्ययन एवं शोध केन्द्र, वाराणसी में मानद निदेशक एवं आचार्य तथा न्यास एवं शासीपरिषद् के सदस्य थे। आपकी शिक्षा वाराणसी, कलकत्ता व पेरिस में हुई थी। ज्ञान-प्रवाह में आने से पूर्व आप
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय स्थित भारत कला भवन के निदेशक तथा भारतीय कला एवं संग्रहालय शास्त्र के प्रोफेसर पद पर कार्यरत थे। प्रो. शर्मा कई समितियों एवं विश्वविद्यालयों में विभिन्न पदों पर आसीन रहे। आप राष्ट्रीय संग्रहालय, नई दिल्ली के महानिदेशक तथा उससे सम्बद्ध विश्वविद्यालय के कुलपति थे। भारतीय संग्रहालय, कोलकाता; राज्य संग्रहालय, लखनऊ; उ.प्र. राज्य पुरातत्त्व संगठन; एवं मथुरा संग्रहालय के निदेशक पद को भी आपने विभूषित किया। इसके साथ ही आप भारतीय संग्रहालय परिषद, वृन्दावन शोध-संस्थान, पांचाल शोध-संस्थान तथा व्रजकला केन्द्र के भी अध्यक्ष रहे। प्रो. शर्मा एशियाटिक सोसायटी, कोलकाता के प्रशासक; कल्याणी विश्वविद्यालय में राज्यपाल के प्रतिनिधि; विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के श्रव्यदृश्य कला संकायों के समायोजक; के. के. विरला फाउन्डेशन के सदस्य; एशियाटिक सोसायटी की मूल्यांकन समिति के अध्यक्ष; तथा इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय
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