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१६० : श्रमण, वर्ष ५७, अंक १/जनवरी-मार्च २००६
डॉ० सागरमल जैन, प्रकाशक - प्राच्य विद्यापीठ, शाजापुर (म०प्र०), प्रथम आवृत्ति - २००५, मूल्य - रु० ४०/श्री वर्द्धमानसूरि कृत - आचार दिनकर, द्वितीय खण्ड - जैन मुनिजीवन के विधि-विधान, अनुवादक - साध्वी मोक्षरत्ना श्री जी, सम्पा० डॉ० सागरमल जैन, प्रकाशक - प्राच्य विद्यापीठ, शाजापुर (म०प्र०), प्रथम आवृत्ति - २००५, मूल्य - रु. ५०/श्री लोकप्रकाश, श्री विनय विजय गणि, सम्पा० पंन्यास जयदर्शन विजय गणि, प्रकाशक - श्री जिनाज्ञा प्रकाशन, वापी, वि०सं० २०६२, मूल्य - रु० ३४४/आपणां सहुनी आत्मकथा, संयोजक - श्रीमद् विजयपूर्ण सूरीश्वर जी म०, प्रकाशक - तरुण भाई मफतलाल शाह, मुम्बई, प्रथम आवृत्ति, सं० २०६१, मूल्य - वाचन - मनन। दीक्षाविधि, संघयालविधि, उपधानविधि, सम्पा० गणिवर्य श्री नयचन्द सागर, प्रकाशक - श्री पूर्णानन्द प्रकाशन, अहमदाबाद, सं० २०६१, मूल्य क्रमश: २०/-, २५/- एवं ४५/श्रुतमहापूजा, संपा० कीर्तियश सूरीश्वर जी म०सा०, प्रकाशक - श्रुतमहापूजा समिति, आचार्य विजय रामचन्द्रसूरि स्मृति मन्दिर, रामनगर, अहमदाबाद। भावचैत्यवंदना, संपा० मुनिराज पुण्यकीर्ति विजयजी, प्रकाशक - सन्मार्ग प्रकाशन, अहमदाबाद, संवत् २०६०। उपदेश सप्तति, श्री सोमधर्मगणि विरचित, सम्पा० मुनिराज श्री पुण्यकीर्ति जी, सन्मार्ग प्रकाशन, अहमदाबाद, संवत् २०६०, मू० ११५/मनना मोह अमोह, शौर्य नो शंखनाद, मनसाथे मैत्री, जवांमर्दी, मन साथे मुलाकात, जीवन नी जड़ी बूटी, ध्रुवतारक, मनन मोती, बोध बिन्दु, अमृतकुंभ, तेजस्वी तारला, भगवान श्री पार्श्वनाथ, जिंदादिली, प्रेरणा ना पुष्यो, कल्याण जोत, कल्याण धारा, कल्याण ध्वनि, कल्याण स्तोत्र, मार्ग चींघती मशाल, मानवता नो महेरामण, आर्यत्वना अजवाण, बुद्धि नां खेल, जात साथे बात, साधना संदेश, सर्वक्षणिकम्लेखक- आचार्यदेव श्रीमद् विजयपूर्णचन्द्र सूरीश्वर जी म.सा०, श्री सूरजबेन रीखबचन्द, कानजी भाई संघवी ग्रन्थमाला सं० १-१२५, प्रकाशक - पंच प्रस्थान पुण्य स्मृति प्रकाशन, गोपीपुरा, सूरत, प्रथम आवृत्ति संवत् २०६१।
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