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विद्यापीठ के प्राङ्गण में : १४५
डाला। समापन सत्र का कुशल संचालन पार्श्वनाथ विद्यापीठ के सहायक निदेशक डॉ० श्रीप्रकाश पाण्डेय ने किया और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. विजय कुमार, प्रवक्ता, पार्श्वनाथ विद्यापीठ ने किया।
इस संगोष्ठी की विशेषता यह रही कि इसके सभी सत्र में वाराणसी तथा वाराणसी से बाहर के विद्वान उपस्थित रहे। प्रत्येक पत्रवाचन के पश्चात् प्रश्नोत्तर में प्राय: सभी विद्वान भाग लेते थे। कुछ पत्रों पर तो एक-एक घंटे तक प्रश्नोत्तर हुए। इसमें भाग लेने वाले स्थानीय विद्वानों में प्रो० अमरनाथ पाण्डेय, पूर्व
आचार्य, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी; प्रो० पी० दूबे, प्रो० पी० पंकज, प्रो० एन०क्यू० पंकज, प्रो० कमला प्रसाद सिंह, डॉ० विमलेन्दु कुमार, डॉ० कमलेश कुमार जैन, का०हि०वि०वि०, वाराणसी; प्रो० फूलचन्द जैन, स०सं०वि०वि०, वाराणसी; डॉ० झिनकू यादव, निदेशक, मानव संस्कृति शोध संस्थान, वाराणसी, डॉ० अनेकान्त जैन, दिल्ली, फादर एम० सेटिंयागो, फादर रजनीकान्त, वाराणसी; डॉ० पतंजलि शास्त्री, म०गां०का०वि०, आचार्य शरद कुमार साधक, वाराणसी। वाराणसी से बाहर के विद्वानों में Dr. B. Bhatt (Germany), Ms. Uma Vesci (Italy), Ven. Bamunugam Shanthavimal Thero (Srilanka), Ms. Kyung-Seo (America), Ms. Pamela John (America) आदि विद्वान उपस्थित थे। महर्षि सान्दीपनि वेदविद्या प्रतिष्ठान, उज्जैन के कार्य अधिकारी, डॉ० अमलधारी सिंह व वहाँ से आये सभी लोगों ने बड़े ही मनोयोग तथा सौहार्दपूर्ण भाव से संगोष्ठी को सफल बनाया।
पार्श्वनाथ विद्यापीठ निबन्ध-प्रतियोगिता २००५-०६
का परिणाम घोषित ___ 'विज्ञान के क्षेत्र में अहिंसा की प्रासंगिकता' विषय पर पार्श्वनाथ विद्यापीठ द्वारा आयोजित निबन्ध-प्रतियोगिता २००५-०६ का परिणाम घोषित कर दिया गया है। इस निबन्ध प्रतियोगिता के लिए ग्रुप 'ए' (१८ वर्ष से कम आयु वर्ग वाले प्रतिभागी) एवं ग्रुप 'बी' (१८ वर्ष से अधिक आयु वर्ग वाले प्रतिभागी) में कुल क्रमशः ५ एवं २० निबन्ध प्राप्त हुए। निर्णायक मण्डल (प्रो० सुदर्शन लाल जैन, पूर्व कला संकाय प्रमुख, का०हि०वि०वि०, प्रो० फूलचन्द जैन, जैन दर्शन विभाग, श्रमण विद्या संकाय, स०सं०वि०वि० एवं प्रो० धर्मचन्द जैन, एसोसिएट प्रोफेसर, संस्कृत विभाग, जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर) ने दोनों ग्रुपों के लिए जिन प्रतिभागियों का प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय पुरस्कार हेतु चयन किया है, वे हैं
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