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श्रमण, वर्ष ५६, अंक १-६/जनवरी-जून २००५
२. कर्पूरमञ्जरी, सम्पादन एवं हिन्दी अनुवाद- डॉ० जयकुमार जैन, प्रका० - ज्ञान
प्रकाशन, सुभाष बाजार, मेरठ-२५०००२. प्राकृत साहित्य का इतिहास, लेखक- डॉ० जगदीशचन्द्र जैन, प्रका०-चौखम्बा विद्याभवन, वाराणसी, द्वितीय संस्करण, सन् १९८५. प्राकृत भाषाओं का व्याकरण, रिसर्ड पिशल, अनुवादक- डॉ० हेमचन्द्र जोशी, प्रका० - बिहार राष्ट्रभाषा परिषद्, पटना-३. वाग्भटालङ्कार (सिंहदेवगणिकृत संस्कृत टीका सहित), हिन्दी टीकाकार- डॉ० सत्यव्रत सिंह, प्रका० - चौखम्बा विद्या भवन, चौक वाराणसी-१, सन् १९५७ काव्यालङ्कार (रूद्रट), श्री नमिसाधुकृत संस्कृत टीका सहित, प्रका०- मोतीलाल बनारसीदास, बंगलोरोड, जवाहरनगर, दिल्ली-७, संस्करण १९८३. भारतीय संस्कृति के विकास में जैन वाङ्मय का अवदान, प्रथम खण्ड, लेखकस्व० डॉ० नेमिचन्द्र शास्त्री, प्रका०- अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन विद्वत् परिषद्, कटरा बाजार, सागर (म०प्र०),प्रथम संस्करण, मार्च १९८२. पाइअ-सद्द-महण्णवो, स्व० पं० हरगोविन्द दास त्रिकमचंद सेठ, सम्पा०- डॉ० वासुदेव शरण अग्रवाल, प्रका० - प्राकृत टेक्स्ट सोसाइटी, वाराणसी, द्वितीय
संस्करण, सन् १९६३. १. देशीनाममाला (हेमचन्द्र), सम्पादक- रिचर्ड पिशल, पी० व्ही. रामानुजस्वामी,
प्रिन्सिपल- महाराजा संस्कृत कालेज, विजयनगरम्, द्वितीय संस्करण, सन् १९३८. १०. देशीनाममाला का भाषावैज्ञानिक अध्ययन, लेखक- डॉ० शिवमूर्ति शर्मा, प्रका०
देवनागर प्रकाशन, चौड़ा रास्ता, जयपुर, संस्करण १९८०.
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