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हिन्दी अनुवाद :"किसी भी रूप से भ्रमर कमलिनी के परिमल को हृदय में धारण करता है परन्तु शेष पुष्पों में तो भ्रमरों का मात्र दृष्टिपात ही होता है । "
गाहा :
तं च बहु-पत्त-: - मज्झे काउं तो पेसिओ चूयलयाए हत्थे दोवि गया तीए
छाया :
तत् च बहुप्राप्त-मध्ये कृत्वा ततः प्रेषितः सतांबूलः । चूतलतया हस्ते द्वौ अपि गता तस्याः पार्श्वे ||२०७।।
अर्थ :- त्यार पछी घणा पत्रोनी मध्यमां करीने तांबूलसहित पत्र चूतलताना हाथमां मोकल्यो ते बन्ने पण तेनी पासे गया ।
हिन्दी अनुवाद :पुनः बहुत पत्रों के बीच में ताम्बूल सहित पत्र रखकर चूतलता के हाथ में अर्पित किया और वह दोनों उनके पास गयीं।
गाहा :
सतंबोलो । पासम्मि ।। २०७।।
तत्तो खतराओ चूयलया आगया इमं भणइ । एत्तो विणिग्गया हं पत्ता य कमेण तग्गेहे ।। २०८ ।।
छाया :
ततः क्षणान्तरात् चूतलता आगता इमं
भणति ।
इतो विनिर्गताहं प्राप्ता च क्रमेण तग्गृहे || २०८ || पछी थोडीवारमां आवेली चूतलता आ प्रमाणे कहे छे, “अंहीथी
अर्थ :
नीकलेली हुं क्रमपूर्वक तेणीना घरमां पंहोची" ।
हिन्दी अनुवाद :- फिर कुछ क्षणों के पश्चात् चूतलता इस प्रकार कहने लगी, यहीं से निकलकर मैं क्रम से उसके घर जा पहुंची।
गाहा :
मत्तव्व मुच्छिया इव गिलिया इव सुयणु ! गुरु- पिसाएण । दिट्ठा उ कणगमाला विसममवत्थंतरं पत्ता ।। २०९॥
छाया :
प्राप्ता ।।२०९।।
मृतेव मूर्च्छिता इव गिलिता इव हे सुतनो ! गुरू-पिशाचेन । दृष्टा तु कनकमाला विषम-मवस्थान्तरं अर्थ :व्यारे हे सुतनो ! कोई मोटा पिशाचवड़े ग्रहण करायेली अने मरेलानी जेम मूर्च्छित विषम अवस्थाने पामेली कनकमालाने में जोई। हिन्दी अनुवाद :- तब हे सुतनु ! कोई बड़े पिशाच द्वारा ग्रस्त और शव जैसी मूर्च्छित अवस्था को पाई हुई कनकमाला को देखी।
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