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अर्थ :- तेथी सोमलताए कहयु - “चित्र के पत्र विश्वास ने माटे तेणी पर मोकलो जेथी ने जोईने तेणीने धैर्यनी प्राप्ति थाय!” हिन्दी अनुवाद :- अत: सोमलता ने कहा :-"उसके विश्वास के लिए चित्र या पत्र भेजिए जिससे वह देखकर उसे धैर्य प्राप्त हो। गाहा :
तत्तो य मए लिहिया पत्ते नलिणीओ तीए पउमम्मि ।
मोत्तूण सेस-कुसुमे निलीयमाणो अली लिहिओ ।। २०४।। छाया :
ततश्च मया लिखिता पत्रे नलिन्यस्तस्मिन् पर्ला।
मुक्त्वा शेषकुसुमे नीलियमानोऽलिः लिखितः।।२०४।। अर्थ :- त्यारे मारावड़े पत्रमा लखायु “सर्वं कुसुमोने छोड़ी ने भमरो कमळमां लीन थाय छे"। हिन्दी अनुवाद :- तब मैंने पत्र में लिखा “सभी पुष्पों को छोड़कर भ्रमर कमल में लीन होता है।" गाहा :
हिढे य तस्स लिहिया एसा गाहा उव्वुन्नय-रसेण ।
निय-भाव- सूयण-परा पच्छन्नत्था तया कुमर!।। २०५।। छाया :
अघश्च तस्य लिखिता एषा गाथा उद्भटो रसेण |
निज-भाव सूचन-परा प्रच्छन्नार्थ तदा हे कुमार! ।।२०५।। अर्थ :- व्यारपछी हे कुमार! पोताना भावने जणाववामां तत्पर आ गाथा तेनी नीचे उद्भट-रसवड़े लखाई। हिन्दी अनुवाद :- हे कुमार ! बाद में उस पंक्ति के नीचे अपने भाव को ज्ञापन करने वाली गाथा उद्भट रस से लिखी। गाहा :
तह कहवि परिठ्ठवियं अलिणो नलिणीए परिमलं हियए ।
लयणुप्पयणं जह तस्स केवलं सेस-कुसुमेसु ।। २०६।। छाया :
तथा कथमपि परिस्थापितं अलयः नलिन्याः परिमलं हृदये ।
लयनोत्पतनं यथा तस्य केवलं शेषकुसुमेषु ।।२०६।। अर्थ :- केमे कटीने पण भमराओ कमलिनीना परिमलने हृदयमा धारण करे छे परंतु शेषकुसुमोमां भमराओनों मात्र दृष्टिपात ज होय छे।
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