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हिन्दी अनुवाद :- इस प्रकार हंसिका ने पूरा स्वरूप बताया, फिर भी मैने उसे पूछा, हे "हंसिनी ! वह पुरुष कौन है ? और उसने मुझे सब कुछ कह दिया।
गाहा :
सोहण - ठाणे रागो पुत्तीए चिंतिउं गया पसे ।
ती दिट्ठा य मए सयणीय- गया कणगमाला ।। १८५ ।।
छाया :
शोभन-स्थाने रागः पुत्र्या चिन्तयितुं आगता पार्श्वे । सा दृष्टा च मया शयनीय-गता कनकमाला ।।१८५ ।। अर्थ :- पुत्रीवड़े राग सारा स्थानमां करायो छे “ए प्रमाणे विचारीने हुं तेनी पासे गई” अने शयनमां सूतेली कनकमाला मारा वड़े जोवाई । हिन्दी अनुवाद :- पुत्री ने श्रेष्ठ स्थान में प्रेम किया है, ऐसा सोचकर मैं उनके पास गई और शयन में सोयी हुई कनकमाला को मैने देखा ।
गाहा :
आपंडुर- मुह - कमला सुदीह - सासेहिं सोसिय- सरीरा । कहकहवि हु निय-जीयं महया किच्छेण धारंती । । १८६ । ।
छाया :
आपाण्डुर-मुख कमला सुदीर्घ श्वासैः शोषित-शरीरा ।
कथकथमपि खलु निज-जीवं महता कृच्छेण धारयंती ।।१८६।। अर्थ :- त्यारे तेनु मुख फिक्कु पडेलु हतु, अत्यंत लांबा श्वासवड़े शूकायेलाशरीवाळी केमे करीने मोटा कष्टवड़े पोताना जीवनने धारण करती हती! हिन्दी अनुवाद :- तब उसका मुख कुम्हला गया था, अतिदीर्घ श्वास से मूर्च्छित देहवाली बड़े कष्ट से अपने प्राण को धारण की थी ।
गाहा :
पिय- विरह - जलण- जालावलीहिं संतावियाए वरईए । हारो चंदण- पंको मुम्मुर - सरिसोव्व
छाया :
प्रिय - विरह - ज्वलन - ज्वालावलिभिः सन्तापितायाः वराक्याः । हारश्चंदन- पङ्को सदृशेव प्रतिभाति । । १८७ । ।
मुर्मुर
अर्थ प्रियना विरहरूपी अग्निनी ज्वालाओवड़े सन्तप्त थती ते बीचारी
पडिहाइ ।।१८७।।
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नो हार पण चंदनना लेपनी तुसना अग्नि जेवो देखातो हतो । हिन्दी अनुवाद प्रिय की विरहाग्नि की ज्वालाओं से सन्तप्त उस बिचारी का हार भी चंदन के लेप ऊपर तुस के अग्नि जैसा दिखाई देता था ।
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