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हिन्दी अनुवाद :- और वहाँ प्रभात समय में जब मुर्गे की बांग सुनाई दे रही थी, तभी पहले कभी न देखा हुआ एक विचित्र स्वप्न मैंने देखा। गाहा :
किल धवल-फुल्ल-माल मणोहरं दट्ट तग्गहट्टाए । चलिओ हं न य सक्केमि गेण्हिउं तं जया कहवि।।१२।। केणवि मित्तेण तओ समप्पिआ आयरेण मे गहिया। ओलंविस्सं गलए किल नियए ताव सा झत्ति ।।९३।। पडिया मह हत्थाओ कत्थवि य गयत्ति नेव जाणामि ।
ताहे महंत-दुक्खं तस्विरहे मज्झ संजायं ।।९४।। छाया :
किल धवल-पुष्पमालां मनोहरं दृष्ट्वा तद्ग्रहणार्थम् । चलितोऽहं न च शक्नोमि गृहीतुम तं यदा कथमपि ।।९२|| केनाऽपि मित्रेण ततः समर्पिता आदरेण मया गृहीता । अवलंबिष्ये ग्रीवायां किल निजके तावत् सा झटिति ।।९३।। पतिता मम हस्तात कुत्राऽपि च गता इति नैव जानामि |
तदा महद्-दुःखं तद्विरहे मह्यं सजातम् ।।९४।। अर्थ :- सफेद मनोहर पुष्पनी माला जोईने तेने लेवा माटे हुं चाल्यो पण कोई पण रीते ते माळा मेळती शक्यो नहीं। पण मारा मित्र वड़े अत्यन्त आदर पूर्वक अपायेली ते माळा में ग्रहण की अने हुं जल्दी थी ते माळाने मारा कंठमा धारण करवा गयो । तेटलीवारमा मारा हाथमां थी पडेली ते माळा क्यां गई ते हुं जाणतो नथी तेथी तेना विरहमां मने अत्यंत दुःख थयु छ। हिन्दी अनुवाद :- श्वेत सुंदर पुष्प की माला को देखकर मैं उसे ग्रहण करने गया किन्तु किसी भी हालत में मैं उस माला प्राप्त नहीं कर सका, किन्तु मेरे मित्र द्वारा अत्यन्त आदर पूर्वक अर्पित की हुई माला को मैंने ग्रहण कर ली, और जल्दी से उस माला को कण्ठ में धारण करने गया । उतने ही क्षणों में मेरे हाथ से वह माला गुम हो गई । इसलिये उसके गुम हो जाने से मुझे बहुत दु:ख है। गाहा :
सुक्कावि मए एसा पुणोवि अभिलाण-कुसुमिया विहिया ।
इय भणिऊणं केणवि कंठे विणिवेसिया मज्झ ।। ९५।। छाया :
शुष्काऽपि मया एषा पुनरपि अम्लान-कुसुमिता विहिता । इति भणित्वा केनाऽपि कण्ठे विनिवेशिता मम ||९५।।
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