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जीवदया: धार्मिक एवं वैज्ञानिक आयाम :
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प्राणियों के हित से बढ़कर मानव के हित को सर्वोपरि मानने का आधार क्या है? क्या अन्य प्राणियों को दर्द का अनुभव मानव की अपेक्षा कम होता है? गंभीर रूप से घायल या असाध्य रोग से पीड़ित मानव को भी कम से कम दर्द पहुंचाते हुए 'छुटकारा दिलाना समर्थनीय क्यों नहीं? इन प्रश्नों का समाधानकारक उत्तर नहीं है। वास्तव में पश्चिमी सभ्यता में जो कुछ चला आ रहा है उसी को नैतिकता का रूप देना ही मानवश्रेष्ठतावाद का उद्देश्य है। ____ अपनी संस्कृति तथा धार्मिक परम्परा से विसंगत होने के कारण मानवश्रेष्ठतावाद भारत में ग्राह्य नहीं हो सकता। अनुबद्धतावाद की त्रुटियों की ओर इशारा किया जा चुका है। सर्वजीवसमतावाद व्यवहार में असम्भव होने के कारण वह भी अपनाने योग्य नहीं है। इसका अक्षरश: पालन करने से पूरी मानव जाति लुप्त होगी। अत: विविध जीवों के साथ मानव का सम्बन्ध निर्धारित करते हुए सदाचार नियमों का ढांचा तैयार करना होगा। इसमें अपनी दार्शनिक परम्परा का ध्यान अवश्य रखना होगा और साथ ही साथ यह भी ध्यान रखना होगा कि अद्यतन वैज्ञानिक तथ्यों की उपेक्षा भी न हो। भारत में कई धर्मों को माननेवाले लोग रहते हैं। सबको ग्राह्य सदाचार नियमों में किन्हीं मूलभूत धार्मिक श्रद्धाओं से टकराव भी टालना होगा। यहां एक ऐसी अचारसंहिता प्रस्तुत की गयी है जो इन सब निकषों पर खरी उतर सकती है।
२. वैज्ञानिक व्यवहारवाद
यदि कोई सदाचार नियम आचरण में न हो या निसर्ग के नियमों के विपरीत हो तो वह कभी टिक नही सकता। जीवों के साथ मानव के व्यवहार के नियम निरूपित करने में निम्नलिखित तीन तथ्यों का विचार आवश्यक है।
१.सभी जीव प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अन्य जीवों पर निर्भर रहते हैं। २.अन्य जीवों के प्रति दयाभाव मानव की नैसिर्गिक प्रवृत्ति है।
३. जिज्ञासापूर्ति एवं ज्ञान का संगोपन मानव की विशेषता है और उसका प्रतिरोध करना मानव के लिए हानिकारक है। जब तक पृथ्वी पर जीव है तब तक पहले तथ्य को नकारा नहीं जा सकता। दूसरे तथ्य के प्रतिकूल आचरण से सतत् मानसिक ग्लानि होती रहेगी। तीसरे तथ्य के प्रतिकूल आचरण असम्भव है क्योंकि जिज्ञासा मानव का निसर्गदत्त गुण है। जो सदाचार नियम इन तथ्यों को नकारता है वह पूर्णतया अव्यवहार्य है। इन तथ्यों का समन्वय करना ही वैज्ञानिक व्यवहारवाद का ध्येय है। सभी वनस्पति तथा प्राणी उस प्रकृति के अंग हैं जिसका अंग मानव भी है। इन सबके परस्पर सम्बन्ध एक जटिल व्यवस्था से बंधे हुए हैं। जब इस
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