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________________ श्रमण, वर्ष , अंक १०-१२ सम्बर २००४ फतेहपुर सीकरी से प्राप्त श्रुतदेवी (जैन सरस्वती) की प्रतिमा डॉ० अशोक प्रियदर्शी* सीकरी आगरा जिलान्तर्गत जिला मुख्यालय के दक्षिण में लगभग ३५ कि०मी० दूर विन्ध्याचल की श्रृंखलाओं के विस्तार पर एक विशाल प्राकृतिक झील के किनारे पर स्थित है यह झील अब प्रायः सूख चुकी है (जैन साहित्य में इस झील को 'मोती झील' अथवा 'डाबर झील' कहा गया है)। जबकि फतेहपुर मुख्य रूप से सीकरी के निकट ही दक्षिण में मुगल बादशाह अकबर द्वारा अपनी द्वितीय राजधानी आदि के निमित्त निर्मित भव्य एवं शानदार स्मारकों का दैदीप्यमान समूह है। इस प्रकार फतेहपुर सीकरी दो प्रमुख स्थलों का संयुक्त नाम है। वर्तमान में फतेहपुर सीकरी की विश्व-प्रसिद्धि का कारण अकबर द्वारा निर्मित यहाँ के गौरवपूर्ण स्मारक हैं जो उन्नीसवीं सदी के उत्तरार्द्ध में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा संरक्षित किये जा चुके हैं। कालांतर में यूनेस्को द्वारा इन स्मारकों के समूह को उनकी किलेनुमा दीवारों एवं विशाल दरवाजों सहित संरक्षित करते हुए इसे 'विश्वदाय स्थल' घोषित किया गया। __१९८२-८३ ई० में सीकरी की उपर्युक्त झील के दक्षिण-पूर्वी किनारे पर स्थित बीरछबीली टीला के उत्खनन से कुछ जैन मूर्तियाँ, स्थापत्य-सम्बन्धी अवशेषों के साथसाथ एक जैन मन्दिर का अधिष्ठान भी प्रकाश में आया। १९९८-९९ ई० में फतेहपुर सीकरी के क्षेत्र से एक बृहद सर्वेक्षण के समय बड़ी संख्या में जैन एवं ब्राह्मण धर्म से सम्बंधित मूर्तियाँ एवं मन्दिरों के स्थल प्राप्त हुए। इन उपलब्धियों से उत्साहित होकर मुगल शासक बाबर के पूर्व इस क्षेत्र का इतिहास एवं पुरातत्व जानने के उद्देश्य से यहाँ के किसी एक पुरा-स्थल का उत्खनन कराना आवश्यक हो गया। ऐसी स्थिति में बीरछबीली टीला का पुनः विधिवत उत्खनन कराया गया जिसमें बड़ी संख्या में जैन मूर्तियाँ अभिलेखों के साथ प्राप्त हुई हैं।६ प्राप्त मूर्तियों में श्रुतदेवी जैन सरस्वती की मूर्ति विलक्षण एवं अद्वितीय है। आलोच्य शोध-पत्र में इस अनुपम कृति का ही वस्तुपरक अध्ययन प्रस्तुत करने का प्रयत्न किया गया है। यहाँ श्रुतदेवी जैन सरस्वती की गुलाबी रंग की प्रस्तर-मूर्ति का प्राप्त होना अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। यह मूर्ति अलंकृत पादपीठ पर अंकित कमल-पुष्प पर त्रिभंग-मुद्रा में खड़ी है (चित्र - १)। * 'चामेलिका' विवेक विहार, मैनपुरी - २०५ ००१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525054
Book TitleSramana 2004 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2004
Total Pages162
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size7 MB
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