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________________ हिन्दी अनुवाद :- अत्यंत कृश तृण के अग्रभाग पर लगे पानी की बूंद तुल्य क्षणिक जीवन ही महान् आश्चर्य है। गाहा : छाया : गाहा :: इति लोकस्य स्वरूपं कुपित - कृतान्तस्येदृशं देवि मरणे नर वर ! न खलु युक्तं शोक दृष्ट्वा | करणमिति || १४२ ।। अर्थ :- आ प्रमाणे लोकना स्वरूप ने तथा आवा प्रकारना कुपित थयेला कृतान्तने जोईने हे नरवर ! देवि मरण पामे छते शोक करवो तारे योग्य नथी. हिन्दी अनुवाद :- इस प्रकार लोक के स्वरूप को देखकर तथा इस प्रकार कुपित कृतान्त को देखकर हे नरवर ! देवी की मृत्यु हो जाने पर आपको शोक करना उचित नहीं है।" देवीना मृत देहना अंतिम विधि छाया : इय लोयस्स सरूवं कुविय - कर्यतस्स देवि-मरणम्मि नर-वर ! न हु जुत्तं छाया : एवं च बहु-विगप्पं भणिओ सो सुमइणा नर- वरिंदो । तक्कालुचियं सव्वं मइ- किच्च एवं च बहु-विकल्पं भणितस्सः तत्कालोचितं सर्वं मृति- कृत्यं अर्थ :- आ प्रमाणे सुमतिवड़े बहु विकल्पोथी कहेवायेलो ते राजा ते काल उचित देवी सर्व मृत कार्य करे छे. हिन्दी अनुवाद इस प्रकार सुमति द्वारा बहुत विकल्पों से प्रबोधित राजा तत्काल देवी के सर्व मृत कार्य को उचित रीति से करता है। गाहा : एरिसं दट्टु । सोग-करणंति ॥१४२॥ कइवय दिणाई परिचत्त-लोय- संभावणाइ-वावारो । गह- गहिओ इव चिट्ठइ, राया देवीए सुमइ - मुहेहिं बोहिज्जतो गिराहिं कतिपय दिनानि परित्यक्त लोक संभावनादि ग्रहगृहीत इव तिष्ठति राजा देव्याः Jain Education International कुणइ देवीए ॥ १४३॥ तावय नरवरेन्द्रः । सुमतिना करोति देव्याः ||१४३|| - जाओ शोकेन || १४४|| अर्थ :- छोडी दीधा छे लोकना संभावनादि व्यापार एवो ते राजा केटलाय दिवसो सुधी ग्रह थी ग्रहण करायेलानी जेम देवीना शोकवड़े रहे छे. हिन्दी अनुवाद : लोगों के साथ संभावनादि व्यापार छोड़कर बहुत दिनों तक ग्रह से ग्रसित की भांति राजा शोकमग्न रहता है। (देवी की मृत्यु के पश्चात् ) गाहा : 24 सोगेण ।। १४४ । नाणाविह-सोय- मोयण- पहिं । काले व्यापारः । For Private & Personal Use Only गय - सोगो ॥ १४५ ॥ www.jainelibrary.org
SR No.525054
Book TitleSramana 2004 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2004
Total Pages162
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size7 MB
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