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________________ ७६ : श्रमण, वर्ष ५६, अंक ७-९/जुलाई-सितम्बर २००४ उदाहरणार्थ नेमिदूतम् के पूर्वोद्धृत काव्यांश - 'यनि:श्रीकं हरति न मनस्त्वां विना यादवेन्दो' १०९ में नेमिनाथ के बिना वासगृह तथा राजीमती सुन्दर नहीं हैं (श्रीरहित हैं)। अत: यहाँ विनोक्ति अलङ्कार है। संसृष्टि - संसृष्टि गूढार्थ प्रतीति मूलक अलङ्कार है। आचार्य मम्मट ने इसका निरूपण करते हुए कहा है कि दो या दो से अधिक अलङ्कारों की काव्य या वाक्य में भेद (परस्परनिरपेक्षरूप) से जो स्थिति है वह संसृष्टि अलङ्कार मानी गयी है - सेष्टा संसृष्टिरेतेषां भेदेन यदिह स्थितिः।११० कवि विक्रम ने संसृष्टि अलङ्कार के प्रयोग में पर्याप्त रुचि प्रदर्शित की है। उन्होंने नेमिदूतम् के एक-एक पद्य में दो-दो या तीन-तीन अलङ्कारों का संश्लेष करके संसृष्टि अलङ्कार की सृष्टि की है। कतिपय स्थल उदाहरणस्वरूप प्रस्तुत हैं - (क) शब्दालङ्कार - अर्थालङ्कार - संसृष्टि - तांदुःखार्ती शिशिरसलिलासारसारैः समीरै - रावास्येव स्फुटितकुटजामोदमत्तालिनादैः। साध्वीमद्रिः पतिमनुगतांतत्पदन्यासपूतः, प्रीत: प्रीतिप्रमुखवचनंस्वागतंव्याजहार।।१११ इस पद्य में प्रयुक्त 'आश्वास्येव' पद से उत्प्रेक्षा, 'शिशिरसलिला - सारसारैः' से छेकानुप्रास तथा 'प्रीत: प्रीति प्रमुखवचनम्' से वृत्यनुप्रास अलङ्कार स्पष्ट होता है। इस प्रकार यहाँ अनुप्रास एवं उत्प्रेक्षा अलङ्कारों की तिलतण्डुलवत् परस्परनिरपेक्षरूप से अवस्थिति होने के कारण संसृष्टि अलङ्कार है। इसी प्रकार नेमिदूतम् के अन्य पद्यों में भी शब्दार्थालङ्कारों की संसृष्टि निम्नवत् दर्शनीय है - + उत्प्रेक्षा-अनुप्रास११२ तथा + काव्यलिङ्ग - अनुप्रास११३ (ख) अर्थालङ्कारो की संसृष्टि - अन्तस्तापन् मृदुभुजयुगं ते मृणालस्य दैन्यं, म्लानं चैतन्मिहिरकिरणक्लिष्टशोभस्य धत्ते। प्लुष्टः श्वासैर्विरहशिखिना सद्वितीयस्तवायं यास्यत्यूरु: सरसकदलीस्तम्भगौरश्चलत्वम्।।११४ प्रस्तुत पद्य के पूर्वार्द्ध से निदर्शना, 'विरहशिखिना' पद से रूपक तथा 'कदलीस्तम्भगौर:' पद से लुप्तोपमा अलङ्कार स्पष्ट होता है। इस प्रकार तीन अर्थालङ्कारों की परस्पर स्थिति होने से यहाँ संसृष्टि अलङ्कार की सृष्टि हुई है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525053
Book TitleSramana 2004 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2004
Total Pages130
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size6 MB
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