SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 104
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्रमण, वर्ष ५६, अंक ७-९ जुलाई-सितम्बर २००४ विद्यापीठ के प्रांगण में पूज्य मुनिश्री पीयूषसागर जी ठाणा ४ अध्ययनार्थ विद्यापीठ में खरतरगच्छीय पूज्य मुनिराज श्री पीयूषसागर जी म०सा०, पूज्यश्रीसम्यक् • रत्नसागरजी म०सा०, पूज्य श्री महेन्द्रसागरजी एवं पूज्य श्री मनीषसागरजी महाराज अध्यनार्थ पार्श्वनाथ विद्यापीठ में विराजित हैं। इसी उद्देश्य से ही उन्होंने वर्ष २००४ का अपना वर्षावास यहां सुनिश्चित किया। सभी मुनिजनों का यहां सुचारु रूप से अध्ययन एवं स्वाध्याय चल रहा है और वे सुख- साता के साथ के विराजमान हैं। पार्श्वनाथ विद्यापीठ में स्वतंत्रता दिवस समारोह सम्पन्न स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर पार्श्वनाथ विद्यापीठ में ध्वजारोहण का कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर वे ० मूर्तिपूजक समाज, वाराणसी के अग्रगण्य श्रावक श्री धनपतराज जी भंसाली मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। कार्यक्रम का प्रारम्भ मुख्य अतिथि द्वारा राष्ट्रीय ध्वजारोहण और सामूहिक राष्ट्रगान से हुआ। इस अवसर पर बोलते हुए पार्श्वनाथ विद्यापीठ के निदेशक प्रो० महेश्वरी प्रसाद जी ने स्वतंत्रता दिवस के ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और उसके महत्त्व की विस्तृत चर्चा करते हुए आगन्तुक अतिथियों को पार्श्वनाथ विद्यापीठ की गतिविधियों से अवगत कराया और भावी कार्यक्रमों की जानकारी दी। अपने उद्बोधन में मुख्य अतिथि श्री भंसाली जीने स्वतंत्रता दिवस के महत्त्व की चर्चा के साथ ही विद्यापीठ द्वारा प्रकाशित होने वाले एक ग्रन्थ के सम्पूर्ण व्यय को वहन करने की घोषणा की जिसका उपस्थित जनों ने हर्षोल्लास के साथ स्वागत किया। इस अवसर पर उपस्थित अन्य वक्ताओं ने भी अपने विचार व्यक्त किये। प्रो० ० एस० क्रोमवेल क्राफोर्ड पार्श्वनाथ विद्यापीठ में Jain Education International हवाई विश्वविद्यालय होनेलूलू (उत्तरी अमेरिका) में जैन विद्या के प्रो० एस० क्रोमवेल क्राफोर्ड भारत वर्ष की प्रमुख जैन संस्थाओं के दौरे पर दिसम्बर २००४ के अंतिम सप्ताह में पधार रहे हैं। अपने भारत प्रवास के दौरान वे दिल्ली, जयपुर, इन्दौर, भोपाल और वाराणसी की जैन संस्थाओं में जैन विद्या के विकास के संदर्भ में वहां के शिक्षकों तथा पदाधिकारियों से विचार-विमर्श करेंगे। अपने वाराणसी प्रवास में प्रो० क्राफोर्ड २ दिन पार्श्वनाथ विद्यापीठ में रुकेंगे। वे हवाई विश्वविद्यालय और For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525053
Book TitleSramana 2004 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2004
Total Pages130
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy