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________________ : श्रमण, वर्ष ५५, अंक १-६ / जनवरी - जून २००४ अंकों एवं अक्षरों दोनों के माध्यम से संख्याओं को व्यक्त करने की अनेक विधियों का प्रयोग जैन ग्रंथों में मिलता है। I दायीं ओर से बांयी ओर तक प्रत्येक अंक का प्रतिपादन एवं व्युत्क्रम। II स्थान मान के आधार पर अंकों का प्रतिपादन । III आदि एवं अंत के अंकों का उल्लेख कर मध्य के तुल्य अंकों का एक साथ उल्लेख IV किसी संख्या के वर्ग या घन के रूप में किसी संख्या को व्यक्त करना। २६ V शब्दों द्वारा अंकों का स्थान क्रमानुसार उल्लेख | (४) जैन रचनाकारों ने समस्त संख्याओं को ३ मुख्य वर्गों एवं पुनः २१ उपवर्गों में विभाजित कर उनमें अन्तर एवं क्रम निर्धारित किया है। I संख्यात - जहाँ तक गणना संभव है। II III अनन्त असंख्यात - गणना से आगे की राशि किन्तु अगणनीय अनंत से छोटी । असंख्यात से बड़ी किन्तु व्यय होने पर भी अनन्त काल तक न समाप्त होने वाली। पुनः संख्यात को ३, असंख्यात को ९ एवं अनन्त को ९ भेदों में विभाजित कर उनमें सूक्ष्म अन्तर किया है १ ९ । अनन्त को स्वरूप एवं प्रकृति के आधार पर ११ भेदों में अलग से भी विभाजित किया गया २० । (५) संख्यात संख्याओं में भी बहुत बड़ी-बड़ी संख्याओं का प्रयोग हुआ है इन विशाल संख्याओं की मात्र कल्पना न कर उनका कालमान की सूची में विधिवत् उपयोग किया गया है। अचलात्म (८४ ३ १ x१०९० वर्ष) तथा शीर्ष प्रहेलिका (८४२८x१०१४० वर्ष) इसके सुन्दर उदाहरण हैं। जैन आचार्यों ने बड़ी संख्याओं को व्यक्त करने हेतु घातांकों के आधुनिक सिद्धान्तों, अल्प - बहुत्व की मौलिक रीति, वर्गित संवर्गित की रीति, जिसके अन्तर्गत २ का तृतीय वर्गित संवर्गित २५६२५६ की विशाल राशि है, अर्द्धच्छेद एवं वर्गशलाका के नाम से आधुनिक लघुगुणक (Lograthims) के सिद्धान्तों का प्रयोग किया है। लघुगुणक का वर्तमान में प्रचलित रूप धवलाटीका (८१६ ई०) में विद्यमान है । पाश्चात्य वैज्ञानिक इनके आविष्कार का श्रेय John Napier ( १६१४ ई०) एवं Burgi (१६०० ई०) को देते हैं जो सम्यक् नहीं है। प्रो० ए० एन० सिंह ने इसे पूर्णत: जैनियों का आविष्कार माना है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525052
Book TitleSramana 2004 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2004
Total Pages298
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size13 MB
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