SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 290
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रश्न में उपलब्ध यह कवर्ग स्थलचारी विहंग बताता है और तवर्ग उसी के अति-प्रधान-स्वरूप (मयूरादि) को बताता है - इस में सन्देह नहीं है।।३४।। जइ अ चवग्गो लद्धो तह पक्खी होइ जलयरो णूणं। तं पि टवग्गे सिट्ठ चवइ पवग्गो गुहसयंध।। ३५।। यदि प्रश्न में चवर्ग उपलब्ध होता है, तो निश्चय ही जलचर पक्षी होता है। टवर्ग उसी के श्रेष्ठ स्वरूप (हंसादि) को बताता है और पवर्ग गुहा में आश्रित अंध पक्षी (उलूक आदि) को बताता है।।३५।। पण्हे कवग्गवण्णा कालोरय-सिंगिणो पयासंति। राजीवसप्पजाई चवग्गवण्णा ये दंतत्थं।।३६।। - प्रश्न में कवर्ग के वर्ण कृष्ण सर्प तथा सींग वाले जन्तुओं को प्रकाशित करते हैं। चवर्ग के वर्ण राजीव सर्प-जाति (शंखचूडादि) एवं दन्तास्त्र (दाँत के अस्त्र वाले हाथी आदि) प्राणियों को प्रकाशित करते हैं।।३६॥ गोणाससप्पजाई टवग्गवण्ण फुडं पयासंति। लहुअविसाणं जाई दिट्ठीणं होई तवग्गवण्णेहि।।३७।। टवर्ग के वर्ण गोनस जाति के सर्पो को स्पष्ट प्रकाशित करते हैं। तवर्ग के वर्गों से स्वल्प विषवाले (वृश्चिकादि) जन्तुओं की जाति दृष्टिगत होती है।।३७॥ विसमच्छ-दाहि (ढि?) दुंदुहि-कीडविसेसाइं किं चुज्ज। जइ किर लद्धो पण्हे पवग्गओ पण्हचउरेण।। ३८।। प्रश्नकुशल ज्योतिषी ने यदि प्रश्न में पवर्ग प्राप्त कर लिया, तो वह विषक्त मत्स्य (श्रृंगिका आदि) दंष्ट्रां वाले जन्तुओं (मकर आदि) दुंदुभि प्रभृति कीटों को कह देता है। क्या आश्चर्य है?॥३८।। ससि-जलण-बाण-मुणि-गह-रुद्द-सरा वग्गाण दु-तीयवण्णा या वुच्चंति धम्मधाउं अधम चिय सेससरवण्णा।।३९।। प्रथम, तृतीय, पंचम, सप्तम, नवम एवं एकादश स्वर तथा कवर्गादि सप्त वर्गों के द्वितीयाक्षर धाम्य धातु बताते हैं।।३९।। रवि-रुद्द-पक्खसरओ पंचमहीणा कवग्गवण्णा य। कणयं चवन्ति तारं सत्तमवग्गो मुणिंदुसरओ य।।४०।। द्वादश एकादश एवं द्वितीय स्वर तथा पंचमाक्षररहित कवर्ग के वर्ण सुवर्ण बताते हैं। सप्तम वर्ग तथा सप्तम स्वर रजत को बताते हैं।।४०।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525052
Book TitleSramana 2004 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2004
Total Pages298
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy