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________________ हिन्दी अनुवाद :- अब एक बार जयसेन को लेकर बाहर गया तब योगीरूपवाले दो पुरुषों ने हमें देखा। गाहा : छाया : संभाष्य पूर्वं दत्तः मह्यं ताभ्यां प्रवर-ताम्बूलः । तस्मिन् भुक्तमात्रे मतिसंमोहो मम जात: ॥१९४॥ अर्थ :- ते बझे वड़े मने बोलावीने पहेला श्रेष्ठ-ताम्बूल अपायु। अने ते खावा मात्रमा ज मारी बुद्धी संमोहित थई । योगी पुरुषवड़े तांबुल द्वारा मोहित करवु - तंबोलो । संभासिऊण पुव्विं दिन्नो मह तेहिं पवरतम्मि समाणियमित्ते मइ-संमोहो महं जाओ ।।१९४।। हिन्दी अनुवाद :- उस दोनों ने मुझे बुलाकर पहले श्रेष्ठ ताम्बूल दिया जिसे खाने मात्र से ही मेरी बुद्धि सम्मोहित हो गई। गाहा :- कुमार सहित देवशर्मानुं योगीनां मार्गनु अनुसरण तत्तो कुमर समेओ तेसिमणुमग्गमेव लग्गो जाणामि नेव किंचिवि विमोहिओ तेहिं पावेहिं ।। १९५ ।। छाया : ततः कुमार - समेतः तेषामनुमार्गमेव लग्नोऽहम् । जानामि नैव किंचिदपि विमोहितो ताभ्यां पापाभ्याम् ॥१९५॥ अर्थ :- ते बे पापीओ वड़े मोहित करायेलो बीजुं कंइ जाणतो न होउं तेम कुमारनी साथे तेओना मार्गने ज हुं अनुसरवा लाग्यो । हिन्दी अनुवाद :- उन पापियों से मोहित किया गया और कुछ नहीं जानता हुआ मैं कुमार के साथ उनके मार्ग का अनुसरण करने लगा। गाहा : छाया : तेहि समेतो अहयं वयामि जा कित्तियंपि भू-भागं । ताव य तिसिएण मए एगम्मि उववण- निगुंजे ।।१९६ ।। छाया : ताभ्यां समेतोऽहं व्रजामि यावत् कियदपि भू-भागम् | एकस्मिन्नुपवन निकुजे ॥१९६॥ तावच्च तृषितेन मया अर्थ :ज्यां सुधी तेओनी साथै केटलोक पृथ्वीभाग गया पछी अत्यंत तरस्यो हुं एक उपवननां निकुञ्जमां......( गयो अने में ) गाहा : -बहुविह - तरु- फल - कलुषं पीयं नीरं तु जाओ सत्थ- सरीरो विचिंतियं ताहि हं । Jain Education International बहुविध - तरु- फल- कलुषं पीतं नीरं तु तत्प्रभावेन । जातः स्वस्थ शरीरो विचिंतितं तदा मया एतद् ॥१९७॥ - युग्मम् 57 For Private & Personal Use Only तप्पभावेण । मे एयं ।। १९७ ।। www.jainelibrary.org
SR No.525052
Book TitleSramana 2004 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2004
Total Pages298
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size13 MB
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