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________________ छाया : महता विच्छदैंन शोभन लग्ने कमलावती तु राज्ञा परिणीता क्षत्र - कुल - विधिना ||१६९॥ अर्थ :- शुभ लग्नमां मोटी ऋद्धि पूर्वक अने अति हर्ष पूर्वक क्षत्रिय कुलनी विधि वड़े राजा अमरकेतु कमलावतीने परण्यो । हिन्दी अनुवाद :- शुभ लग्न में महती ऋद्धि युक्त और अति हर्ष से भरपूर कुल की विधि द्वारा राजा अमरकेतुने कमलावती के साथ विवाह किया। गाहा : छाया : छाया : अंतेउरस्स पाणाणवि अब्भहिया पवरा इंदस्स व इंदाणी जाया अह सा छाया : प्राणेभ्योऽपि अभ्यधिका प्रवरा अन्तःपुरस्य सकलस्य । इन्द्रस्येव इन्द्राणी जाता अथ सा महादेवी ||१७| अर्थ :- हवे प्राणथी पण अत्यंत अधिक प्रिय, सकल अंतःपुरमां श्रेष्ठ, इन्द्रनी इन्द्राणी जेवी ते महादेवी थइ । हिन्दी अनुवाद :- अब वह कमलावती प्राणों से भी अधिक प्रिय, सकल अन्तःपुर में श्रेष्ठ, इन्द्र की इन्द्राणी जैसी महादेवी हुई। गाहा : गुरु -! - प्रमोदेन । ती सह विसय- सोक्खं अणुहवमाणस्स राइणो तस्स । नीईए सयल- -भूमिं निययं परिवालयंतस्स ।।१७१ ।। वच्चंति विबुह - पहुस्सव तया सह विषय - सौख्यमनुभवतः राज्ञः तस्य । नीत्या सकल-भूमिं निजकां सयलस्स । महादेवी ।।१७० ।। अर्थ :- तेणीनी साथै विषयसुखने अनुभवतां नीतिपूर्वक पोतानी समस्त भूमिनुं पालनकरतां....... गाहा : वासराई Jain Education International परिपालयतः || १७१|| सुह-समुदयमसममणुहवंतस्स । तियसालयम्मि aft - दुक्खस्स ।।१७२ ।। व्रजन्ति वासराणि सुख-समुदायमसममनु भवतः । विबुध-प्रभोरिव त्रिदशालयेऽदृष्ट- दुःखस्य ।।१७२ ॥ युग्गन 312f :सुखनां समुदायने अनुभवतां देवलोकमां देवोनां इन्द्रनी जेम क्यारे पण दुःखनो अनुभव नहि करता ते राजाना दिवसो पसार थवा लाग्या । हिन्दी अनुवाद :- उनके साथ विषयसुख का अनुभव करते, नीतिपूर्वक अपनी समस्त भूमि 50 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525052
Book TitleSramana 2004 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2004
Total Pages298
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size13 MB
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