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________________ गाहा : छाया : अभ्यर्थनार्हा यद् सुजनाः ततस्तान् तु प्रार्थयाम इदानीम् । एकाग्रमनसो भूत्वा कथ्यमानाम् निशाम्यत ||३० ॥ अर्थ :- प्रार्थनाने योग्य जे सज्जनो छे तेमने तो अमे प्रार्थना करीए छीट । हमणा तो जे कहेवाय छे ते एकाग्र मनवाळा थइने तमे सांभळो । हिन्दी अनुवाद :- प्रार्थना के योग्य जो सज्जन हैं, उनसे तो हम प्रार्थना करते ही हैं, किन्तु अभी यहाँ जो कहा जाता है वह एकाग्र मन से तुम सुनो। गाहा : धर्म मां उद्यम करवानो उपदेश अब्भत्थणारिहा जं सुयणा, तो ते उ पत्थिमो इहिं । एगग्ग-मणा होउं साहिज्जतिं निसामेह ||३०|| छाया : गाहा : छाया : I देविंद-चंद - नागिंद - विंद- मणुइंद-वंदिय जिणेहिं वज्जरिए उज्जमिडं जुत्तं धम्मम्मि सुद्धमि ||३२|| देवेन्द्र - चंद्र - नागेन्द्र-वृन्द-मनुजेन्द्रवन्दित-जिनैः । कथिते उद्यन्तुं युक्तं धर्मे शुद्धे ॥३२॥ अर्थ :- चोराशी लाख योनिथी युक्त, घोर, अनादि अनंत आ संसारमां अत्यंत दुर्लभ मनुष्य जन्मने प्राप्त करीने भव्य लोको बड़े देवेन्द्र, चन्द्र, नागेन्द्रना समुदाय तथा चक्रवर्तिथी वंदित एवा जिनेश्वर भगवंतो बड़े कहेवायेला शुद्ध धर्मनां उद्यम करवो योग्य छे। घोरे अणोरयारे संसारे जोणि-लक्ख पउरम्मि । अइदुलहं लद्धणं मणुयत्तं भविय - लोएण ||३१॥ घोरे 'ऽनाधनन्ते संसारे योनि-लक्ष-प्रचुरे । अतिदुर्लभं लब्ध्वा मनुजत्वं भव्यलोकेन ||३१|| छाया : हिन्दी अनुवाद :- चोरासी लाख योनि से प्रचुर, भयंकर, अनादि अनंत इस संसार में अत्यंत दुर्लभ मनुष्य जन्म को प्राप्त करके देवेन्द्र, चन्द्र, नागेन्द्र के समुदाय तथा चक्रवर्त्ती से वन्दित ऐसे जिनेश्वर भगवंत द्वारा कथित शुद्ध धर्म का भव्य लोक को पालन करना चाहिए। गाहा : राग-द्वेषनु स्वरूप सो अंतरारि - विजए राग-द्दोसा य अंतरा सत्तू | तव्विजए च्चिय सोक्खं तेहिं जियाणं पुणो दुक्खं ||३३|| सोऽन्तरारिविजये रागद्वेषी चान्तरी शत्रू | तद्विजये हि सौख्यं ताभ्यां जितानां पुनर्दुःखम् ॥३३॥ अर्थ :- ते शुद्ध धर्म आंतर शत्रुओना विजयमां छे। अने राग-द्वेषज आंतरशत्रु छे। ते राग-द्वेषना विजयमां ज जीवोने सुख छे । वळी ते राग-द्वेष बड़े जीतायेला जीवोने दुःख छे। १. अणोरपारे-दे- अनादि-अनन्ते Jain Education International 10 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525052
Book TitleSramana 2004 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2004
Total Pages298
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size13 MB
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