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________________ १९२ : श्रमण, वर्ष ५५, अंक १-६/जनवरी-जून २००४ अनेकान्त दर्पण, सम्पा० - ब्र० संदीप 'सरल', प्रधान सम्पा० - डॉ० रतनचन्द जैन, प्रका० - अनेकान्त ज्ञान मन्दिर शोध संस्थान, बीना, सागर, मध्य प्रदेश - ४७०११३, अंक - ५, वर्ष २००३, आकार - डिमाई, पृष्ठ - १२८। अनेकान्त दर्पण श्रमण संस्कृति की उत्कृष्ट पत्रिकाओं में से एक है। यह अंक शोध वार्षिकी है जिसमें उच्च कोटि के लेखों का संग्रह किया गया है। इन लेखों में चन्द्रावती की चौबीसी के कुछ ऐतिहासिक तथ्य; पाण्डुलिपियां और उनका परिरक्षण; जैन पत्रकारिता : स्वरूप, समस्याएँ; सम्भावनाएं एवं सुझाव; अनेकान्त की वैज्ञानिकता; संस्कृत जैन प्रबन्ध काव्यों में प्रतिपादित शिक्षा पद्धति; श्रमण संस्कृति एवं उसकी प्रमुख विशेषताएँ; आकाश द्रव्य और उर्जा समीकरण आदि लेख अत्यन्त ही उच्च कोटि के बन पड़े हैं। यह अंक विद्वानों एवं शोधार्थियों के लिए संग्रहणीय है। : मनोजकुमार तिवारी (शोध छात्र) अनुसंधान २४-२५, सम्पा० - आचार्य विजयशीलचन्द्रसूरि, प्रका० - कलिकाल सर्वज्ञ श्री हेमचन्द्राचार्य नवम जन्म शताब्दी स्मति संस्कार शिक्षण निधि, अहमदाबाद, प्राप्ति स्थान - आ० विजयनेमिसूरि जैन स्वाध्याय मंदिर १२, भगतबाग, जैन नगर, नया शारदा मंदिर रोड, अहमदाबाद, ३८०००७, आकार - डिमाई, पृष्ठ१२२ एवं १०९, मूल्य - ५०/- प्रत्येक अंका ___'अनुसंधान' प्राकृत एवं गुजराती भाषा की एक उत्कृष्ट पत्रिका है जिसमें समयसमय पर श्रमण परम्परा से सम्बन्धित उच्च कोटि के लेख प्रकाशित होते हैं। उपरोक्त संस्करण में आदिस्तव; अठोतरसो नामे पार्श्वनाथ स्तोत्र; शंकर कवि प्रणीत विजयवल्लीरास; विविध कवि विरचित सज्झायश्लोकादिसंग्रह, श्री ब्रह्मविरचित उपदेश कुशल कुलक; षट्प्राभृतमां दन्त्य नकारना प्रयोग; षट्प्राभृतमा विभक्तिं रहित शब्द रूप; श्री सिद्धसेनसरिरचित 'सिद्धमातृका प्रकरण', मुनिश्वरसरि कृत प्रमाण सार; भुवनहिताचार्यकृत चतुर्विंशतिजिनस्तवन, मुनि भूधररचित सरस्वतीवारमासो, दया कुशलकृत लाभोदयरास; मुनिचन्द्रसूरिगुरुगुणगहुंली, वाचक मुनिसौभाग्य गणिकृत स्तवन चौबीसी; विहंगावलोकन; पत्रचर्चा; महोपाध्याय सहजकीर्ति • एवं कई स्तुति एवं कविताओं का संग्रह है। लेख संस्कृत एवं गुजराती दोनों ही भाषाओं में हैं। सभी लेख स्तरीय एवं पठनीय हैं। - मनोजकुमार तिवारी (शोध छात्र) विनयबोधिकण भाग - १, सम्पा० - श्रीमती दीपा विजय संगोई, प्रका०श्री विनयमुनि जी चातुर्मास समिति, संगोई हॉल, हेलधानी नाका, रायपुर ४९२००९, छत्तीसगढ़, द्वितीय संस्करण - नवम्बर २००३, आकार - डिमाई, पृष्ठ - १६६। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525052
Book TitleSramana 2004 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2004
Total Pages298
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size13 MB
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