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________________ साहित्य सत्कार देवाधिदेव श्रमण भगवान् महावीर स्वामी (गुजराती) संपा० - पंन्यास श्री नयवर्धन विजय जी गणि; प्रकाशक श्री भारतवर्षीय जिनशासन सेवा समिति C/o धरणेन्द्र भाई वी० शाह, B-302 चंदनबाला, सुविधा शॉपिंग सेन्टर के सामने, पालड़ी, अहमदाबाद ३८० ००७ प्रथम संस्करण जुलाई २००३ ई०; आकार डिमाई, पृष्ठ १६+५१९ मूल्य १५०/- रुपया । - प्रभुश्रीपार्श्वनाथचरित्र, रचनाकार आचार्य देवभद्रसूरि; गुजराती अनु० एवं सम्पा० पंन्यास श्री नयवर्धन विजय जी गणि; प्रकाशक श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ जैन देरासर (चंदनबाला) ट्रस्ट ; आकार रायल, पृष्ठ ४+३९४; मूल्य - X जिनचन्द्रसूरि जिनेश्वरसूरि विक्रम सम्वत् की १२वीं शताब्दी के मध्य के प्रमुख रचनाकारों में गुणभद्रगणि अपरनाम देवभद्रसूरि का प्रमुख स्थान है। महावीरचरित्र ( रचनाकाल वि०सं० १९३९) और पार्श्वनाथचरित्र (वि०सं० १९६८) इनकी प्रमुख कृतियां हैं। पार्श्वनाथचरित्र की प्रशस्ति में इन्होंने अपनी गुरु- परम्परा निम्नानुसार दी है। वर्धमानसूर प्रसन्नचन्द्रसूरि श्रमण, वर्ष ५५, अंक १-६ जनवरी- जून २००४ अभयदेवसूरि Jain Education International - बुद्धिसागरसूरि - सुमतिगणि I गुणभद्रगणि अपरनाम देवभद्रसूरि ( रचनाकार) For Private & Personal Use Only महावीरचरित्र ( प्राकृत भाषामय) का प्रकाशन १९२९ ई० में देवचन्द लालभाई जैन पुस्तकोद्धार, मुम्बई से और पार्श्वनाथचरित का गुजराती अनुवाद जैन आत्मानन्दसभा, भावनगर से २०वीं शताब्दी के तृतीयदशक में हुआ। उक्त दोनों कृतियां लम्बे अरसे से अनुपलब्ध थीं। पंन्यास नयवर्धन विजयजी गणि ने उक्त कृतियों का गुजराती अनुवाद अपने सम्पादकत्व में प्रस्तुत कर साहित्य जगत् को अमूल्य www.jainelibrary.org
SR No.525052
Book TitleSramana 2004 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2004
Total Pages298
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size13 MB
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