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________________ १८२ : श्रमण, वर्ष ५५, अंक १-६/जनवरी-जून २००४ श्री स्याद्वाद महाविद्यालय के शताब्दी समारोह का भव्य शुभारम्भ वाराणसी २४ मई : गंगा के सुरम्य तट पर स्थित भगवान् सुपार्श्वनाथ जन्मभूमि दि० जैन मंदिर परिसर में पूज्य गणेश प्रसाद जी वर्णी द्वारा अब से ९९ वर्ष पूर्व श्रुतपंचमी के पावन पर्व पर १९०५ ई० में स्थापित श्री स्याद्वाद महाविद्यालय के शताब्दी समारोह वर्ष का शुभारम्भ २४ मई २००४ ई० को प्रात: काल शुभ मुहूर्त में सामूहिक अभिषेक, पूजन आदि धार्मिक कार्यों के साथ सुप्रसिद्ध विद्वान डॉ० फूलचन्द जैन ‘प्रेमी' के संयोजकत्व में प्रारम्भ हुआ। वर्षपर्यन्त चलनेवाले इस समारोह में समय-समय पर विभिन्न कार्यक्रम सम्पन्न होंगे। इसी क्रम में आगामी दीपावली के पश्चात् महाविद्यालय के पूर्व और वर्तमान स्नातकों का एक सम्मेलन का भी आयोजन किया जा रहा है। दि० २२ जुलाई से महाविद्यालय का नवीन सत्र भी प्रारम्भ होने जा रहा है। ___ उपाध्याय रमेश मुनि ठाणा ४ का वर्ष २००४ का चतुर्मास फरीदकोट में श्रमणसंघीय आचार्य शिवमुनिजी म० सा० के अनुयायी उपा० श्री रमेश मुनि ठाणा ४ का वर्ष २००४ का मंगल चातुर्मास पंजाब प्राप्त के फरीदकोट नगर में होना सुनिश्चित हुआ है। आपश्री का फरीदकोट में मंगल प्रवेश २४ जून २००४ को हुआ सम्पर्क सूत्र - श्री सतीश जैन एडवोकेट, जैनस्थानक, फरीदकोट (पंजाब), फोन - ९४१७०५०४६० मातृश्री रूपाबाई स्वर्गस्थ सनावद १२ अप्रैल : गणिनी ज्ञानमती माताजी के संघस्थ क्षुल्लक मोतीसागर जी की संसारपक्षीय माता सुश्राविका रूपाबाई का ८४ वर्ष की आयु में ११ अप्रैल को सनावद में निधन हो गया जिनकी स्मृति में उनके पुत्र श्री प्रकाशचन्द जी जैन ने विभिन्न धार्मिक संस्थाओं के लिये दान की घोषणा की है। ज्ञातव्य है कि श्री प्रकाशचन्द जी की पुत्री और स्व० रूपाबाई की पौत्री ब्रह्मचारिणी चन्द्रिकाजी भी ज्ञानमती माताजी के संघ में संयम की साधना में लगी हुई हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525052
Book TitleSramana 2004 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2004
Total Pages298
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size13 MB
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