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५२ : श्रमण, वर्ष ५४, अंक १०-१२/अक्टूबर-दिसम्बर २००३
सन्दर्भ : १. क्षुल्लक ज्ञानभूषण; सचित्त विवेचन, वीर सेवा मंदिर ट्रस्ट, जयपुर १९९४. २. आशाधर; सागारधर्मामृत (टीका पं० देवकीनंदन शास्त्री), पृष्ठ २३६-३७,
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पृष्ठ २७३.
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१९९६.
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