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सम्पादकीय
श्रमण अक्टूबर-दिसम्बर २००३ का अंक सम्माननीय पाठकों के समक्ष प्रस्तुत है। विभिन्न अप्रत्याशित कारणों से इसे हम समय से प्रस्तुत न कर सके, जिसके लिये पाठकगण क्षमा करने की कृपा करेंगे। पूर्व के अंकों की भांति इस अंक में भी जैन दर्शन, आचार, साहित्य, इतिहास, कला एवं समसामयिक विषयों पर आधारित १५ मौलिक आलेख प्रकाशित हैं। हमारा यही उद्देश्य है कि श्रमण में प्रकाशित होने वाले सभी आलेख सुसम्पादित एवं शुद्ध रूप में मुद्रित हों। अपने उद्देश्य की पूर्ति में हम कहां तक सफल हो सके हैं यह निर्णय पाठकगण स्वयं करें और अपनी निष्पक्ष प्रतिक्रिया से हमें अवगत कराने की कृपा करें।
जैन धर्म-दर्शन- साहित्य- इतिहास- कला आदि पक्षों से सम्बद्ध मौलिक एवं अप्रकाशित आलेख हिन्दी, अंग्रेजी एवं गुजराती भाषाओं में प्रकाशनार्थ सादर आमंत्रित हैं।
दिनांक : १५/३/०४
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