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________________ साहित्य सत्कार 'प्रमाणनयतत्त्वालोक', रचनाकार आचार्य वादिदेवसूरि, गुजराती विवेचन एवं सम्पादन - साध्वी महायशाजी, प्रकाशक - श्री ॐकार सूरि ज्ञानमन्दिर, सूरत, प्रथम संस्करण - २००३, पृ०सं० ३१+३१२, मूल्य - १००/ वादिदेवसूरि प्रणीत 'प्रमाणनयतत्त्वालोक' जैन न्याय का एक विशिष्ट ग्रन्थ है। इस ग्रंथ पर संस्कृत एवं गुजराती में कई टीकाएं उपलब्ध हैं जिनमें वादिदेवसूरि की स्वोपज्ञटीका - 'स्याद्वादरत्नाकर' के अतिरिक्त रत्नप्रभ की 'रत्नाकरावतारिका', रामगोपालाचार्य की बालावबोध टीका तथा पं० मफतलाल का गुजराती विवेचन आदि मुख्य हैं। उपर्युक्त विवेचन - ग्रंथ एवं टीकाएं अपनी दुरूह भाषा के कारण प्राथमिक अभ्यास के लिए अनुपयुक्त हैं। अत: लम्बे समय से, विशेषकर गुजराती भाषा में ऐसे ग्रंथ की आवश्यकता महसूस की जा रही थी जो जैन - न्याय के प्रारम्भिक विद्यार्थियों के लिए सुबोधगम्य हो और इस आवश्यकता की पूर्ति पूज्य साध्वी श्री ने अपने प्रस्तुत ग्रंथ से किया है। इस ग्रंथ के कुल ८ परिच्छेदों में ३७९ श्लोक हैं। साध्वी महायशाश्री जी ने इन श्लोकों में गुम्फित जैन न्याय के रहस्यों यथा - प्रमाण के लक्षण, प्रकार, नय, वाद के लक्षण, प्रकार आदि का विशद एवं सुन्दर विवेचन किया है। अपने विवेचन में साध्वी श्री ने न्याय वैशेषिक, बौद्ध, वेदान्त सम्मत ज्ञानमीमांसीय मन्तव्यों का पक्ष-प्रतिपक्ष सहित सुन्दर विनियोग किया है। पुस्तक की भाषा प्राञ्जल एवं शैली सुबोधगम्य हैं। उनके स्तुत्य प्रयास का प्रतिफल प्रस्तुत पुस्तक निश्चय ही जैन न्याय के प्रारंभिक एवं प्रौढ़ विद्यार्थियों के लिए उपादेय सिद्ध होगी। डा० श्रीप्रकाश पाण्डेय Caturnayacakram (Essays in Jaina Philosophy and Religion, Editor - Piotr Balcerowicz, Publisher - Motilal Banarasidass, Delhi, 2002, Price Rs. 495.00 The present title Essays in Jaina Philosophy and Religion' is a collection of sixteen articles contributed by different acclaimed National and International scholars of Jainism, like Muni Jambu Vijaya, Albert Wezier, Jayendra Soni, Piotra Balcerowicz, Emmrich, Kristi L. Wiley, Padmanabh S. Jaini, Keni Watanabe, Phyllis Granoff, Adelheid Mette, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525051
Book TitleSramana 2003 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2003
Total Pages156
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size7 MB
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