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________________ ७९ 3. . (सागरमल जैन, जैन धर्म का यापनीय सम्प्रदाय, वाराणसी १९९६ ई०, पृष्ठ १२०-१२१)। ३. णाऽणागमो मच्चुमुहस्स अत्थिा आचारांगसूत्रम् : सं० आचार्य श्री आत्माराम जी जैन प्रकाशन समिति, जैनस्थानक, लुधियाना १९६३ ई०, १. ४. २. १३४। ४. उज्जोवणमुज्जवणं णिव्वहणं साहणं व णिच्छएणं। दंसणणाणचरित्ततवाणमाराहणा भणिया।। भ.आ. २. ५. वही., ३. वही., ४. ७. वही., ६. जम्हा चरित्तसारो भणिया आराहणा पवयणम्मि। सव्वस्स पवयणस्स य सारो आराहणा तम्हा।। भ.आ. १४. वही., १६. १०. दिट्ठा अणादिमिच्छादिट्ठी जम्हा खणेण सिद्धा या आराहया चरित्तस्स तेण आराहणा सारो।। भ.आ. १७ ११. रज्जन कुमार, समाधिमरण, पार्श्वनाथ विद्यापीठ ग्रन्थमाला, ग्रन्थांक १२४, वाराणसी २००२ ई०, पृष्ठ ३. १२. सर्वाथसिद्धिः, सं० फूलचन्द्र सिद्धान्तशास्त्री, भारतीय ज्ञानपीठ, काशी १९५५ ई०, ७.२२. १३. आचारांगसूत्र, गाथा २३५, २४१, पृष्ठ २९१-२९६. १४. उत्तराध्ययनसूत्रम् श्री आत्माराम जी महाराज, खजांचीराम जैन, जैन शास्त्रमाला ___ कार्यालय, लाहौर १९३६ ई०, ५.३. १५. समवायांगसूत्र; सं० मधुकर मुनि, श्री आगम प्रकाशन समिति, ब्यावर (राजस्थान) १९८२ ई०, पृष्ठ ५४. १६. भ.आ., पृष्ठ ५४-५५. १७. उत्तराध्ययनसूत्र; ५.३, ४, ५. १८. रज्जन कुमार; समाधिमरण पृष्ठ १२. १९. पुरुषार्थसिद्ध्युपाय; श्री अमृतचन्द्राचार्य, श्रीमद् राजचन्द्र आश्रम, अगास १९६६ ई०, पृष्ठ ७५. २०. रलकरण्डकश्रावकाचार; सं० पत्रालाल “बसन्त", वीर सेवा मन्दिर ट्रस्ट प्रकाशन, दिल्ली १९६२ ई०, १२३.
SR No.525050
Book TitleSramana 2003 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2003
Total Pages176
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size7 MB
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