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सन्दर्भ :
२.
वही, पृष्ठ १०.
२अ. रमेशचन्द्र मजुमदार और ए०डी० पुसालकर, दिल्ली सल्तनत, प्रथम संस्करण, मुम्बई १९६० ई०, पृ० १६२.
अगरचन्द नाहटा, भँवरलाल नाहटा, संपा० बीकानेरजैनलेखसंग्रह, श्री अभय जैन ग्रन्थमाला, पुष्प १५, कलकत्ता वीर सम्वत् २४८२, लेखांक ४७३. विनयसागर, संपा० प्रतिष्ठालेखसंग्रह, जिनमणिमाला - ग्रन्थांक ४, सुमति सदन, कोटा १९५३ ई०, लेखांक १५५.
३.
४.
५.
६.
७.
८.
पं० बेचरदास दोशी, मणिधारी जिनचन्द्रसूरि काव्यांजलि, सम्पादक - प्रो० सागरमल जैन, पार्श्वनाथ विद्याश्रम लघु प्रकाशन, ग्रन्थांक ३, वाराणसी - १९८० ई०, प्रस्तावना, पृष्ठ १०.
९.
बीकानेरजैनलेखसंग्रह, लेखांक ५३४.
वही, लेखांक ८८१ तथा १९५८ एवं पूरनचन्द नाहर, संपा० जैनलेखसंग्रह भाग ३, लेखांक २७३९, २७४०, २७४१, २८२४ आदि ।
Muni Punya Vijaya, Ed., New Catalogue of Mss in the Jain Bhandars at Jesalmer, L.D. Series, No. - 36, Ahmedabad- 1972 A.D., P-278-79, No.- 1231.
धन्नाशालिभद्रचौपाई, संपा० रमणलाल सी० शाह, मुम्बई १९८३ ई०,
प्रस्तावना, पृष्ठ २३.
Muni Punya Vijaya, Ed., New Catalogue of Mss. P- 227, No. 467.
१०. पूरनचन्द नाहर, संपा०- जैनलेखसंग्रह, भाग ३,
लेखांक २४०१.
११. मुनि पुण्यविजय, पूर्वोक्त, पृष्ठ २०१-२०२, क्रमांक १८९.
-
१३. वही, पृष्ठ २४०, क्रमांक ६६१. वही, पृष्ठ २०७, क्रमांक २४९.
१५.
१७.
वही, पृष्ठ २०४,
क्रमांक २२८.
वही, पृष्ठ २१७, क्रमांक ३८६.
वही, पृष्ठ २०५, क्रमांक २३७.
वही, पृष्ठ २०५, क्रमांक २३९.
२२ .
१२ . वही, पृष्ठ २६४, क्रमांक ९९३. १४. वही, पृष्ठ १६४, क्रमांक २२८. १६. वही, पृष्ठ २०७, क्रमांक २५२. १८ - १९. वही, पृष्ठ २०६, क्रमांक २४७.२०. २१. वही, पृष्ठ २६४, क्रमांक ९९३. २२ए. वही, पृष्ठ २१६, क्रमांक ३७४. २३ए. वही, पृष्ठ २२३, क्रमांक ४२३. २५. शीतिकंठ मिश्र, हिन्दी जैन साहित्य का बृहद् इतिहास ( मरु - गूर्जर ), भाग २, पार्श्वनाथ विद्याश्रम ग्रन्थमाला, ग्रन्थांक ६६, वाराणसी १९९४ ई० सन्, पृष्ठ १२२.
२३.
२४.
वही, पृष्ठ २०९, क्रमांक २७२.