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________________ १२० खरतरगच्छ-बेगड़शाखा के मुनिजनों का विद्यावंशवृक्ष जिनचन्द्रसूरि जिनेश्वरसूरि 'प्रथम' (वि०सं० १४२५ में बेगड शाखा के प्रवर्तक, प्रतिमा लेख वि० सं० १४२५) सोमदत्त जिनशेखरसूरि जिनधर्मसूरि (प्रतिमालेख) वि० सं० १५१०, १५१३ जयानन्द (वि० सं० १५१० में धन्यचरितमहाकाव्य के कर्ता; जिनचन्द्रसूरि 'प्रथम' (प्रतिमालेख - वि० सं० १५३६) विनयमेरुगणि । वि०सं० १५२६ में कालकाचार्यकथा के लिपिकार) क्षमामूर्ति जिनमेरुसूरि (वि० सं० १६वीं शती में इनके पठनार्थ विधिमार्गप्रपा की प्रतिलिपि की गयी) देवभद्रगणि जयसिंहसूरि जिनगुणप्रभसूरि मुनि महिमामंदिर कमलसुन्दर गुणसागर मतिसागर पं० भक्तमंदिर ज्ञानमंदिर जिनेश्वरसूरि (वि०सं० १५८२ में (वि० सं० १५९५ में (वि० सं० १७वीं शती में कालकाचार्यकथा के भवभावना के प्रवज्याविधानकुलकप्रतिलिपिकार) प्रतिलिपिकार) बालावबोध के रचनाकार)
SR No.525050
Book TitleSramana 2003 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2003
Total Pages176
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size7 MB
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