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________________ १०१ भित्ति चित्रकला पर चुल्लवग्ग से अतीव महत्त्वपूर्ण प्रकाश पड़ता है। इसमें बताया गया है कि दीवारों पर चित्र बनाने के लिए उन्हें एक विशेष प्रकार का लेप लगाकर चिकना किया जाता था। इस लेप में चिकनी मिट्टी (कुण्डमत्तिका), सरसों की भूसी (सासपकुट्ट), मोम (सित्थ) और खली (तिलक) मिलायी जाती थी। इस लेप को हाथ से सफाई से लगाया जाता था, जिसे 'हत्थभित्तिकम्म' कहते थे। तत्पश्चात् उस धरातल को चूने की मिट्टी (सुधामत्तिका) से पोतकर पृष्ठभूमि तैयार की जाती थी। तत्पश्चात् सफेद रंग, काले रंग तथा गेरुआ रंग (गेरुक) के प्रयोग से चित्राँकन किया जाता था। फिर उन रेखा चित्रों में रंग (वण्ण) भरा जाता था, जिसे 'भित्तिचित्तकम्म' कहते थे। चित्रों में रंग भरने का काम कुंचियों (तूलानि) से होता था। ये कूचियाँ चित्रों के अनुपात से छोटी बड़ी होती थीं, जिनका निर्माण वृक्ष और लताओं तथा घास-फूस से किया जाता था, जिन्हें क्रमश: रुक्खतूल, लतातूल और पोटकितूल कहते थे। . रंग भरने में भाव का विशेष ध्यान रखा जाता था। डा० वासुदेव शरण अग्रवाल के शब्दों में "रेखा, वर्ण (रंग) और भाव सचमुच यही तीन अच्छे चित्र के प्राण होते हैं। वस्तुत: भाव का ही मूर्त रूप चित्र है। भाव जब मूर्त रूप में आता है, तभी उत्तम चित्र बन पाता है।" ३. वास्तुकला - स्थापत्य कला के क्षेत्र में बौद्ध धर्म की अनुपम देन रही है। बुद्ध ने भारतीय स्थापत्य में अनेक नये वातायन खोले हैं। बौद्ध स्थापत्य को दो वर्गों - अनिवासी स्थापत्य और निवासी स्थापत्य, में रखा जा सकता है। अनिवासी स्थापत्य स्तूप - अनिवासी स्थापत्य में वे स्थापत्य हैं जो निवास के लिए नहीं बनाये जाते हैं यथा स्तूप। उल्लेखनीय है कि स्तूप बुद्ध अथवा उनके शिष्यों के शरीर धातुओं को सन्निहित कर बनाये गये थूहाकार तथा बुलबुलाकार स्मारक हैं। ये स्तूप पहले मिट्टी के और बाद में पक्के ईंटों के बनाये गये। लौरियानन्दनगढ़ के मिट्टी के बने स्तूप भारत के प्राचीनतम् स्तूप हैं। ईंटों के स्तूपों में पिपरहवाँ का स्तूप सबसे प्राचीन है। भरहुत, सांची और सारनाथ के स्तूप तो अद्वितीय हैं ही, जिसे कला मर्मज्ञ बौद्ध धर्म की सर्वश्रेष्ठ देन मानते हैं। स्तूपों का निर्माण बुद्ध के जीवनकाल में ही होने लगा था। बुद्ध के केश, नख धातु के ऊपर मगधराज बिम्बिसार ने अपने अंत:पुर में एक स्तूप का निर्माण कराया था और जिसकी वह पूजा वन्दना करता था। इसी प्रकार तपस्सु और भल्लिक ने बुद्ध के केश धातु के ऊपर अपने देश अफगानिस्तान में स्तूप का निर्माण कराया था।
SR No.525050
Book TitleSramana 2003 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2003
Total Pages176
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size7 MB
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