SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 87
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जैन धर्म और पर्यावरण संरक्षण : 81 जैनधर्म में पर्यावरण को काफी महत्त्व दिया गया है। तीर्थंकरों ने पर्यावरण संरक्षण और जैविक संतुलन बनाए रखने के लिए सशक्त सिद्धान्तों की स्थापना की जो आज भी विद्यमान हैं। हमें जैन धर्म में निहित मूलभूत पर्यावरण के प्रतिमानों का प्रचार करना चाहिए। जैन धर्म हमें पृथ्वी के छोटे से छोटे प्राणी वनस्पति, सूक्ष्म जीवों की रक्षा एवं सम्मान की प्रेरणा देता है जो कि पर्यावरण संरक्षण के लिए अत्यन्त उपयोगी है।. इस प्रकार हम देखते हैं कि जैनधर्म में पर्यावरण से संबंधित सभी तत्व सर्वत्र दृष्टिगोचर होते हैं। साथ ही पर्यावरण के संरक्षण और संवर्द्धन में जिन तत्वों की अहम भूमिका है उनको भी निर्देशित किया गया है। इनका अवलोकन, कर हम उसको सुरक्षित करके सभी तरह से जीवन को सुखमय बना सकते हैं। यदि हम जैनधर्म के सिद्धांतों पर चलें तो पर्यावरण संरक्षण अपने आप हो जाएगा। सन्दर्भ ग्रन्थ 1. भूरामल शास्त्री के साहित्य में पर्यावरण संरक्षण - एक अध्ययन पृ० 3-15 / 2. तिलोयपण्णति, 5.5 / 3. पंचास्तिकाय, 110 / 4. पंचास्तिकाय, 111 / 5. गोम्मटसार, जीवकाण्ड, गाथा 186 / 6. सवार्थसिद्धि, 8.11 / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525049
Book TitleSramana 2003 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2003
Total Pages136
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy