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________________ ११६ : श्रमण, वर्ष ५४, अंक ४-६/अप्रैल-जून २००३ तिवारी 'मानस' विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे। इस अवसर पर बड़ी संख्या में उपस्थित विद्वानों ने स्व० डॉ० जैन द्वारा भारतीय इतिहास एवं वाङ्मय में उनके योगदान पर प्रकाश डाला और नन्हीं बालिकाओं के साथ-साथ उपस्थित कविजनों ने भी अपनी-अपनी रचनाओं से काव्य संध्या को रसासिक्त बनाया। अर्हत्वचन पुरस्कार २००२ की घोषणा इन्दौर १५ जून : कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ, इन्दौर द्वारा मौलिक एवं गवेषणात्मक आलेखों के सृजन को प्रोत्साहित एवं उनके लेखकों के श्रम को सम्मानित करने हेतु वर्ष १९९० में अर्हत्वचन. पुरस्कारों की स्थापना की गयी है। इसके अन्तर्गत प्रतिवर्ष अर्हत्वचन में एक वर्ष में प्रकाशित आलेखों का मूल्यांकन कर उन्हें प्रथम, द्वितीय तथा तृतीय पुरस्कार के लिये चुना जाता है। पुरस्कृत लेख के लेखकों को क्रमश: ५००१/-, ३००१/-, २००१/- की नकद राशि, प्रशस्तिपत्र एवं स्मृतिचिन्ह से सम्मानित किया जाता है। अर्हत्वचन पुरस्कार वर्ष २००२ हेतु चयनित लेख एवं उनके लेखकों का विवरण निम्नानुसार है : प्रथम पुरस्कार : The Jaina Hagiography and the Satkhandāgama 14 (4) October 2002, 49-60, Dr. S.A. Bhuvanendra Kumar, Editor-Jinamanjari, 4665 Moccasin trail, Miss issauga Canada L4Z, 2W5 द्वितीय पुरस्कार : Acārya Virasena and his Mathematical Contribution, 14 (2-3), April-September 2002, 79-90, Mrs. Pragati Jain, Lecturer ILVA Science and Commerce College, Indore. तृतीय पुरस्कार : काल विषयक दृष्टिकोण, १४ (२-३) अप्रैल-सितम्बर २००२, ४१-५० डॉ० (ब्र०) स्नेहरानी जैन, C/o श्री राजकुमार मलैया, भगवानगंज, स्टेशन रोड, सागर कार्यशाला समापन एवं पुरस्कार समर्पण समारोह सम्पन्न नई दिल्ली १६ जून : भोगीलाल लहेरचन्द इन्स्टीट्यूट ऑफ इण्डोलाजी, दिल्ली द्वारा प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी प्राकृत भाषा व साहित्य पर तीन सप्ताह की कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसका समापन समारोह १५ जून रविवार को सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर आचार्य हेमचन्द्रसूरि पुरस्कार २००१ एवं २००२ के समर्पण का कार्यक्रम भी आयोजित रहा। वर्ष २००१ का उक्त पुरस्कार प्रो० जी०वी० टगारे को उनकी प्राकृत एवं अपभ्रंश भाषा के आजीवन अध्ययन एवं.. Jain Education International For Tivate & Persolial Use www.jainelibrary.org
SR No.525049
Book TitleSramana 2003 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2003
Total Pages136
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size7 MB
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