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श्रमण, वर्ष ५४, अंक ४-६/अप्रैल-जून २००३
चतुर्थ सत्र - २७ अप्रैल २००३
११.१५ बजे से १.०० बजे तक अध्यक्षता - प्रो० अंगने लाल, लखनऊ डॉ० शिवबहादुर सिंह . प्राग् बौद्ध श्रमण परम्परा नालन्दा डॉ० सच्चिदानन्द श्रीवास्तव - Social Milieu of Early Sramana गोरखपुर
Tradition डॉ० मीरा शर्मा
श्रमण परम्परा एवं लोक धर्म में समन्वय : वाराणसी
हरिणेगमेषी के विशेष संदर्भ में
पंचम सत्र - २७ अपैल २००३
अपरान्ह २.०० बजे से सायं ४.०० बजे तक अध्यक्षता - प्रो० एल०पी० सिंह, शिमला कुमारी सपना जायसवाल - श्रमण परम्परा का प्राचीन एवं महत्त्वपूर्ण गोरखपुर
केन्द्र-पावा डॉ० शिवप्रसाद - वीर निर्वाण भूमि-पावा की प्राचीनता वाराणसी डॉ० विजयकुमार
आगमों में अनगार के प्रकार : परिव्राजक, वाराणसी
तापस और आजीवकों के संदर्भ में ४. डॉ० विमलेन्दु कुमार Śramana Tradition in Pali Literature
वाराणसी ओम प्रकाश सिंह
ऋषिभाषित में वर्णित जैन, बौद्ध एवं वैदिक वाराणसी
परम्पराओं में मान्य ऋषि । डॉ० श्रीप्रकाश पाण्डेय - तीर्थंकर अरिष्टनेमि वाराणसी
छठां सत्र - २७ अप्रैल २००३
सायं ४.१५ बजे से ६.०० बजे तक अध्यक्षता - प्रो० हरिशंकर प्रसाद, नई दिल्ली १. क० अर्पिता चटर्जी - बौद्ध एवं जैन श्रमण परम्परा में वाराणसी .
भिक्षाचर्या : एक तुलनात्मक अध्ययन २. कु० अर्चना शर्मा - बौद्ध धर्म में पारमिता की अवधारणा
फैजाबाद
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