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खरतरगच्छ-जिनभद्रसूरिशाखा का इतिहास :
६. भंवरलाल नाहटा, “स्व० पूर्णचन्द्रजी नाहरना संग्रहनी स्वर्णाक्षरी प्रतिओ” जैनसत्यप्रकाश, वर्ष २०, अंक १२, पृष्ठ २१३-३४.
७. Vidhatri Vora, Ed. Catalogue of Gujarati Manuscripts, L.D.Series No-71, Ahmedabad -1978, p-110. ८. वही, पृष्ठ ५६२. ६. वही
१०. मोहनलाल दलीचंद देसाई, पूर्वोक्त, भाग३, पृष्ठ ३३५-३६.
११. अगरचंद नाहटा एवं भंवरलाल नाहटा, संपा० मणिधारी जिनचन्द्रसूरि अष्टम शताब्दी स्मृति ग्रन्थ, दिल्ली १६७१ ई०, भाग२, खरतरगच्छीय साहित्य सूची, पृष्ठ ६०.
१२. शीतिकंठमिश्र, हिन्दीजैनसाहित्यका बृहद् इतिहास, भागर, पार्श्वनाथ विद्याश्रम ग्रन्थमाला क्रमांक ६६, वाराणसी १६६४ ई०, पृष्ठ २३०. १३. देसाई, पूर्वोक्त, भाग २, (नवीन संस्करण), पृष्ठ १८ - १६.
१४. खरतरगच्छीय साहित्यसूची, पृष्ठ७.
१५. H.D. Velanker, Ed. Jinaratnakosha, Poona - 1944. p-325.
१६. खरतरगच्छीय साहित्यसूची, पृष्ठ२४.
१७. Jinaratnakosha p-325.
१८. देसाई, पूर्वोक्त, भाग २, (नवीन संस्करण) पृष्ठ १४८. ४६.
१६. वही, पृष्ठ १४७.४६.
२०. Vidhatri Vora, Ibid, p-305.
२१. देसाई, पूर्वोक्त, भाग २, (नवीन संस्करण) पृष्ठ ४६-५०.
२२. Vidhatri Vora, Ibid, p-305.
२३. देसाई, पूर्वोक्त, भाग३, (नवीन संस्करण) पृष्ठ ६३.
६७
२४. वही, भाग२, (नवीन संस्करण) पृष्ठ २३१-३२.
२५. शीतिकंठ मिश्र, पूर्वोक्त, पृष्ठ ४२३२.
२६. Vidhatri Vora, Ibid, p-207, 383. । धर्मवर्धन ग्रन्थावली, संपा०-अगरचंद भंवरलाल नाहटा, बीकानेर वि०सं०२०१७. भूमिका. २७. Ibid, p-207.
२८. अमृतलाल मगनलाल शाह, संग्रा० - संपा०, श्रीप्रशस्तिसंग्रह, अहमदाबाद वि०सं० १६६६ भाग२, प्रशस्ति क्रमांक ८२१, पृष्ठ १८६.
२६. वही, भागर, प्रशस्ति क्रमांक ८२१, पृष्ठ २२३.
३०. देसाई, पूर्वोक्त, भाग३, (नवीन संस्करण), पृष्ठ ६२-६३. ३१. वही
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