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________________ साहित्य सत्कार नयनामृतम्, सं०- मुनिश्री वैराग्यरति विजय जी, प्रकाशक- प्रवचन प्रकाशन, पूना, प्राप्ति स्थान- भूपेश भायाणी, ४८८, रविवार पेठ, पूना ४११००२, प्रथम संस्करण २००२, आकार- डिमाई, पृष्ठ १४+१४६, मूल्य ७० रुपये। मुनिश्री वैराग्यरति विजय जी द्वारा सम्पादित नयामृतम् ‘नय' का पूर्ण ज्ञान कराने में सक्षम है। तत्त्व को यथार्थ रूप में जानने के लिए प्रमाण और नय को जानना आवश्यक है। प्रस्तुत संग्रह में दस ग्रन्थों से नय सम्बन्धी विचार को एक जगह संकलित किया गया है। इसके प्रथम पर्व में अनुयोगद्वारसूत्र का 'नयानुयोग', द्वितीय पर्व में 'नयकर्णिका' तृतीय पर्व में 'नय रहस्य', चतुर्थ पर्व में 'अनेकान्त व्यवस्था', पंचम - पर्व में तत्त्वार्थसूत्र का 'नयाधिगमः', षष्ठ पर्व में 'नयोपदेश', सप्तम पर्व के प्रमाणनय तत्त्वालोक का 'नयपरिच्छेद', अष्टम पर्व में 'नय प्रकाशस्तव', नवम पर्व में 'नयचक्रालापपद्धति' एवं दशम् पर्व में 'नयचक्रसार' के अन्तर्गत विशेषावश्यकभाष्य एवं स्याद्वादरत्नाकर में वर्णित 'नय' के स्वरूप का वर्णन है। इस छोटी सी पुस्तक में 'नय' के बारे में एक साथ सम्पूर्ण जानकारी मिल जाती है। चूंकि पुस्तक संस्कृत में है अतः विद्वत्जन को चाहिए कि इसका हिन्दी अनुवाद यथाशीघ्र प्रकाशित करें जिससे संस्कृत जानने वाले पाठक भी इसका लाभ उठा सकें। . आयार सुत्तं, महामहोपाध्याय चन्द्रप्रभसागर जी, प्रकाशक- जिनशया फाउण्डेशन, ९ सी, एस्प्लानेड रो ईस्ट, कलकत्ता ७०००६९, द्वितीय संस्करण २००, पृष्ठ २७७, मूल्य ३०/ __ आयार सुत्तं आगम ग्रन्थ है जिसमें भगवान् महावीर की आचार सम्बन्धी वाणी संग्रहीत है। ग्रन्थ की शैली सूत्रात्मक एवं भाषा अर्द्धमागधी है जिसे चन्द्रप्रभसागर जी ने जनसामान्य को आत्मसात कराने के लिए सूत्रात्मक हिन्दी अनुवाद किया है। शान्त एवं वैराग्य रस का समन्वय आयार सुत्तं में श्रमण नीति का सैद्धान्तिक एवं व्यावहारिक पक्ष दृष्टिगत होता है। चन्द्रप्रभसागर जी द्वारा अनेकों शिक्षाप्रद ग्रन्थ निःसृत हो चुके हैं। आयारसुत्तं को जन-जन तक पहुँचाने का यह उनका उत्तम प्रयास है। इसमें कुल ९ अध्याय हैं जिसमें नीतिपरक चर्चा है। अगर सुधीजन इसे आत्मसात् करें तो अवश्य विश्व का कल्याण होगा। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525048
Book TitleSramana 2003 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2003
Total Pages138
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size6 MB
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