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खरतरगच्छ-रुद्रपल्लीयशाखा का इतिहास : ८७
द्वितीय वर्ग में उन प्रतिमालेखों को रखा जा सकता है जिनमें उल्लिखित मुनिजनों का केवल अभिलेखीय साक्ष्यों में ही उल्लेख मिलता है, किन्तु वहां उनकी गुरु-परम्परा के दो-एक नाम ज्ञात होने से कुछ छोटी-छोटी गुर्वावलियां संकलित की जा सकती हैं, जो निम्नानुसार हैं : (अ)
जिनहंससूरि
जिनराजसूरि (वि.सं. १४२१)
जिनहंससूरि (वि.सं. १४९४)
जिनराजसूरि (वि.सं. १५०१-१५०६)
जिनोदयसूरि (वि.सं. १५२५)
देवसुन्दरसूरि (वि.सं. १५४२)
हर्षसुन्दरसूरि (वि.सं. १४७८-१४८६)
देवसुन्दरसूरि (वि.सं. १४५४-१४८७)
लब्धिसुन्दरसूरि (वि.सं. १५०६)
सोमसुन्दरसूरि (वि.सं. १५०१-२५)
हरिकलश (वि.सं. १५४२)
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