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________________ जैन आगम-साहित्य में नरक की मान्यता : १०९ शस्त्र विशेष), मौष्टिक, मुष्टिप्रमाण, असिखेटक (तलवारसहित फलक), कप्पिणी, कर्तिका (कैंची), वसुला (लकड़ी छीलने का औजार), परशु (फरसा) तथा टंक (छेनी)।१७ प्राय: नरक में व्यक्तियों को पूर्वजन्म के पाप का स्मरण कराकर गेंद के आकार वाली कुन्दकुम्भी में डालकर पकाया जाता है।५८ शरीर की चमड़ी उधेड़ कर तीखी चोंच वाले पक्षी, जंगली जानवर आदि खा जाते हैं। व्यक्तियों का हाथ-पैर बाँधकर तेज धार वाले उस्तरा से पेट चीरा जाता है। लोग सन्तापनी नरककुम्भी में चिरकाल तक सन्ताप भोगते हैं। इस भूमि का स्पर्श ही इतना कष्टकर होता है, मानों हजार बिच्छुओं के डंकों का एक साथ स्पर्श हुआ हो। कहा गया है कि --- तहाँ भूमि परसत दुख इसो, वीहू सहस डसें तन तिसो।''१९ नरक से प्राप्त होने वाले महादुःख को तीन प्रकारों में विभाजित किया गया है- परस्परकृत, क्षेत्रजन्य तथा परअधार्मिक देवकृत।२० जैन आगम साहित्य के नरक-सम्बन्धी मान्यताओं को देखकर प्रतीत होता है कि नरक दुराचारियों, असत्यवादियों का स्थान है जहाँ अधम अन्धकार है और पापकर्म के आधार पर नरकपाल नारकीय जीवों को असहनीय कष्ट प्रदान करते हैं। यह सामान्य जनमानस के लिए भी एक सन्देश था कि वो पापकर्म से बचे और सद्मार्ग का चुनाव कर मृत्युपरान्त प्राप्त होने वाले इन दण्डों से अपनी रक्षा करे। सन्दर्भ-सूची १. स्थानाङ्गसूत्र, नवम स्थान, प्रथम उद्देशक, पृ० ६६९ (सम्पा० मधुकर मुनि), व्यावर, १९८३ ई०. २-३. सूत्रकृताङ्ग, पञ्चम अध्ययन (प्रथम उद्देशक नरकविभक्ति), पृ० ५७२-७३, सम्पा० अमरमुनिजी, पंजाब १९७९ ई०. ४. सूत्रकृताङ्ग, पञ्चम अध्ययन (प्रथम उद्देशक- नरकविभक्ति), पृ० ५७४. ५. जीवाजीवाभिगमसूत्र, तृतीय प्रतिपति उद्वर्तना, द्वितीय उद्देशक, पृ० २५१ (सम्पा० - मधुकर मुनि), व्यावर, १९८९ ई०. ६-७. प्रश्नव्याकरण, प्रथम श्रुतस्कन्ध, प्रथम अध्ययन, पृ० २८-२९ (सम्पा० मधुकर मुनि), व्यावर १९८३ ई०. ८. स्थानाङ्गसूत्र, सम्पा० - मधुकर मुनि,तृतीय उद्देशक, पञ्चम स्थान, पृ० ५५२. ९. वही, तृतीय उद्देशक, पञ्चम स्थान, पृ० ५१६. १०. सूत्रकृताङ्ग, प्रथम उद्देशक, पञ्चम अध्ययन, पृ० ५९० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525047
Book TitleSramana 2002 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2002
Total Pages182
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size8 MB
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