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________________ जैन जगत् : १६१ शाजापुर (मध्यप्रदेश) में जैनविद्या (जैनोलॉजी) में बी०ए०/एम०ए०/ पी-एच ० डी० डिग्री पाठ्यक्रमों के अध्ययन की सुविधा उपलब्ध पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी के भूतपूर्व निदेशक, अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त जैन विद्वान् डॉ० सागरमलजी ने जैन,बौद्ध और हिन्दूधर्म एवं दर्शन के क्षेत्र में अध्ययन-अध्यापन, शोधकार्य व ज्ञान-ध्यान साधना हेतु शाजापुर नगर की प्रदूषणरहित प्राकृतिक सुरम्य वातावरण वाली दुपाडा रोड पर प्राच्य विद्यापीठ की स्थापना की है, जिसका विशाल एवं सुन्दर भवन तैयार हो गया है। इस विद्यापीठ को इसी वर्ष विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन से भी मान्यता प्राप्त हो गयी है। फलतः यहाँ से शोधार्थी के रूप में जैन, बौद्ध और हिन्दूधर्म एवं दर्शन से सम्बन्धित किसी भी विषय पर शोधप्रबन्ध तैयार कर उसे विक्रम विश्वविद्यालय में प्रस्तुत कर पी-एच०डी० की उपाधि प्राप्त की जा सकती है। इस विद्यापीठ के भवन में ७ सुसज्जित अध्ययन-अध्यापन हॉल, किचन व स्टोर तथा प्रसाधन की समुचित व्यवस्था है। विद्यापीठ में एक सुसज्जित पुस्तकालय है जिसमें लगभग १०,००० पुस्तकें, पत्रिकाएँ एवं पुरानी पाण्डुलिपियां संरक्षित हैं। डॉ० सागरमलजी के शाजापुर नगर में निवासरत होने व उनके द्वारा इस विद्यापीठ की स्थापना के फलस्वरूप जैन विश्वभारती संस्थान लाडनूँ-राजस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) ने अपने द्वारा संचालित पत्राचार पाठ्यक्रमों के लिए अध्ययन एवं परीक्षा केन्द्र के रूप में प्राच्य विद्यापीठ को मान्यता प्रदान की है जो शाजापुर के नागरिकों के लिए बड़े सौभाग्य की बात है। यही कारण है कि अब शाजापुर नगर एवं उसके आस-पास के स्थानों में रहने वाले नागरिकगण प्राच्य विद्यापीठ के पुस्तकालय का लाभ लेकर डॉ० सागरमलजी सा० के प्रत्यक्ष मार्गदर्शन में जैनविद्या में बी० ए०/ एम०ए० के डिग्री पाठ्यक्रमों में सम्मिलित होकर इस केन्द्र से परीक्षा दे सकते हैं। इन डिग्रियों का रोजगार इत्यादि की दृष्टि से वही उपयोग है जो अन्य विषयों से सम्बन्धित डिग्रियों का है। जैनविद्या में बी०ए०/एम०ए० डिग्री पाठ्यक्रमों के आवेदनपत्र जुलाई २००२ में भरे जा सकते हैं। इस सम्बन्ध में यदि आप कोई भी जानकारी प्राप्त करना चाहें तो डॉ० सागरमलजी जैन (फोन नं० ०७३६४- २७४२५) या डॉ० राजेन्द्रकुमार जैन (फोन नं० ०७३६४- २६१५३) शाजापुर से प्रत्यक्ष रूप से या फोन पर सम्पर्क स्थापित कर सकते हैं। वर्तमान समय में विद्यापीठ के पुस्तकालय का लाभ लेकर सागरमल जी के मार्गदर्शन में शाजापुर नगर के २ छात्र/छात्रा जैनविद्या में एम०ए० पूर्वार्द्ध और ९ छात्र-छात्राएँ एम०ए० उत्तरार्द्ध में अध्ययनरत हैं। इसके अतिरिक्त तीन जैन साध्वियां जैन विश्वभारती संस्थान, लाडनूं से पी-एच०डी० की उपाधि के लिए अपना शोधप्रबन्ध तैयार कर रही हैं तथा २ छात्रों ने विक्रम विश्वविद्यालय से पी-एच०डी० की डिग्री हेतु पंजीयन कराने के लिए आवेदन किया है। साथ ही विद्यापीठ में प्रति सप्ताह गुरुवार को रात्रि के ८.३० बजे श्रद्धेय सागरमलजी साहब के मंगल Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525046
Book TitleSramana 2002 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2002
Total Pages188
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size9 MB
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