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________________ विद्यापीठ के प्रांगण मे : १५१ सागरमल जैन ने संस्थान का परिचय देते हुए संगोष्ठी में उपस्थित लोगो का स्वागत किया। इस अवसर पर व्याख्यान हेतु पधारे विद्वानों को माल्यार्पण, अंगवस्त्र एवं नारियल प्रदान कर सम्मानित किया गया। संगोष्ठी का संचालन पार्श्वनाथ विद्यापीठ के वरिष्ठ प्रवक्ता डॉ० अशोककुमार सिंह ने किया। विद्यापीठ की प्रबन्ध समिति के संयुक्त सचिव श्री इन्द्रभूति बरड़ ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया। इस अवसर पर विद्यापीठ द्वारा आयोजित जैन धर्म और पर्यावरण निबन्ध प्रतियोगिता-२००१, के लिये पुरस्कृत प्रतिभागियों में से उपस्थित दो प्रतिभागियों- डॉ० अर्चना श्रीवास्तव और श्री अमित बहल को सम्मानित किया गया! इस संगोष्ठी में प्रख्यात् इतिहासविद् प्रो० अवध किशोर नारायण, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के संस्कृत-विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो० सुदर्शनलाल जैन, प्रो० कमला प्रसाद सिंह, प्रो० जयशङ्करलाल त्रिपाठी (अध्यक्ष, संस्कृत-विभाग), प्रो० माहेश्वरी प्रसाद, शिक्षासङ्काय के प्रमुख प्रो० हरिकेश सिंह, प्रो० आनन्दशंकर सिंह, प्रो० डी० गंगाधर आदि विद्वान् प्रमुख रूप से उपस्थित थे। संगोष्ठी के आयोजन में विद्यापीठ के सभी अध्यापकों एवं कर्मचारियों का सराहनीय योगदान रहा। प्रो० माहेश्वरी प्रसाद पार्श्वनाथ विद्यापीठ के निदेशक नियुक्त पार्श्वनाथ विद्यापीठ की प्रबन्ध-समिति ने विद्यापीठ के निदेशक पद पर सुप्रसिद्ध इतिहासकार प्रो० माहेश्वरी प्रसाद को प्रतिष्ठित कर विद्यापीठ के गौरव में अभिवृद्धि । की है। १ मई को आपने अपना नया कार्यभार सम्भाल लिया। आपने पी-एच०डी० की उपाधि पश्चिम जर्मनी के गेटिंगन विश्वविद्यालय से प्राप्त की। आपको चार दशकों का लम्बा शैक्षणिक अनुभव है। आपने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय; जबलपुर विश्वविद्यालय और डॉ० राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय में अध्यापन किया और काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी से २००१ में प्रोफेसर पद से निवृत्त हुए। अध्यापन कार्य करते हुए आपने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय तथा अवध विश्वविद्यालय के विभिन्न प्रशासनिक पदों के उत्तरदायित्व का सफलतापूर्वक निर्वहन किया। देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों की शैक्षणिक समितियों के आप सदस्य हैं। भारत सरकार ने आपको केन्द्रीय तिब्बती उच्च अध्ययन संस्थान की विभिन्न समितियों का सदस्य नामित किया। आप अवध विश्वविद्यालय तथा अरुणांचल विश्वविद्यालय, इटानगर की शैक्षणिक और परामर्शदात्री समिति के सदस्य रह चुके हैं। १९८६-८७ ई० में आप फैजाबाद में लोक अदालत के जूरी रहे हैं। १९८९ में आयोजित आल इण्डिया ओरियण्टल कान्फ्रेन्स के ३४वें सत्र में पुरातत्त्व-विभाग के तथा १९९० में आयोजित ३५वें सत्र में इतिहास-विभाग के अध्यक्ष पद को आप सुशोभित कर चुके हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525046
Book TitleSramana 2002 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2002
Total Pages188
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size9 MB
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