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________________ १३ मानकर 'प्राकृतविद्या' के सम्पादक को स्वीकार करना होगा। खैर यह सब प्रास्ताविक बातें थीं, जिससे यह समझा जा सके कि समस्या क्या है, कैसे उत्पन्न हुई और प्रस्तुत संगोष्ठी की क्या आवश्यकता है? हमें तो व्यक्तियों के कथनों या वक्तव्यों पर न जाकर तथ्यों के प्रकाश में इसकी समीक्षा करनी है कि जैन आगमों की मूल भाषा क्या थी और अर्धमागधी तथा शौरसेनी में कौन प्राचीन है? आगमों की मूल भाषा - अर्धमागधी (क) यह एक सुनिश्चित सत्य है कि महावीर का जन्मक्षेत्र और कार्यक्षेत्र दोनों ही मुख्य रूप से मगध और उसका समीपवर्ती क्षेत्र ही रहा है, अतः यह स्वाभाविक है कि उन्होंने जिस भाषा में बोला होगा वह समीपवर्ती क्षेत्रीय बोलियों से प्रभावित मागधी अर्थात् अर्धमागधी रही होगी। व्यक्ति की भाषा कभी भी अपनी मातृभाषा से अप्रभावित नहीं होती है। पुनः श्वेताम्बर - परम्परा में मान्य जो भी 'आगम साहित्य' आज उपलब्ध है, उनमें अनेक ऐसे सन्दर्भ हैं, जिनमें स्पष्ट रूप से यह उल्लेख है कि महावीर ने अपने उपदेश अर्धमागधी भाषा में दिये थे। इस सम्बन्ध में अर्धमागधी आगम साहित्य से कुछ प्रमाण प्रस्तुत किये जा रहे हैं यथा १. २. ३. ४. ५. ६. भगवं च णं अद्धमागहीए भासाए धम्ममाइक्खा । - समवायांग, समवाय ३४, सूत्र २२. तणं समणे भगवं महावीरे कुणिअस्स भंभसारपुत्तस्स अद्धमागहाए भासाए भासिता अरिहा धम्मं परिकहेइ । - औपपातिकसूत्र गोयमा ! देवा णं अद्धमागहीए भासाए भासंति स वि य णं अद्धमागहा भासा भासिज्जमाणी विसज्जति । - भगवई, लाडनूं, शतक ५, उद्देशक ४, सूत्र ९३. तणं समये भगवं महावीरे उसभदत्तमाहणस्स देवाणंदामाहणीए तीसे य महति महलियाए इसिपरिसाए मुणिपरिसाए जइपरिसाए... सव्व भाषाणुगामिणिय सरस्सईए जोयणणीहारिणासरेणं अद्धमागहाए भासाए भासए धम्मं परिकहे । - भगवई, लाडनूं, शतक ९, उद्देशक ३३, सूत्र १४९. समये भगवं महावीरे जामालिस्स खत्तियकुमारस्स... अद्धमागहाए भासाए भासइ धम्मं परिकहे । - भगवई, लाडनूं, शतक ९, उद्देशक ३३, सूत्र १६३. सव्वसत्तसमदरिसीहिं अद्धमागहाए भासाए सुत्तं उवदिट्ठ। -आचाराङ्गचूर्णि, जिनदासगणि, पृ० २५५. मात्र इतना ही नहीं, दिगम्बर- परम्परा में मान्य आचार्य कुन्दकुन्द Jain Education International For Private & Personal Use Only के ग्रन्थ www.jainelibrary.org
SR No.525045
Book TitleSramana 2001 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2001
Total Pages218
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size9 MB
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