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१०. प्रभावकचरित, आचार्य प्रभाचन्द्र, सिंघी जैन ग्रन्थमाला, कलकत्ता १९४०,
पृष्ठ २१५. ११. प्रबन्धकोश, पूर्वोक्त, पृष्ठ ४७. १२. सुशीला खरे, पूर्वोक्त, पृष्ठ २७ व ३३. १३. मारुतिनन्दन तिवारी एवं कमलगिरि, जैन विद्या के विविध आयाम, पा०वि०,
वाराणसी-५, १९९१, पृष्ठ १६३-६४. १४. मुनि कुलचन्द्र विजय, सिद्ध सरस्वती सिन्धु, शंखेश्वर पार्श्वनाथ जैन मन्दिर,
सूरत १९९४, पृष्ठ ११३-१३१. १५. द्रष्टव्य, जैन विद्या के विविध आयाम, पृष्ठ १६४-१६५. १६. वही, पृष्ठ १६४.
सिद्धसारस्वत सिन्धु; पूर्वोक्त, पृष्ठ १३२-१३४. जैन विद्या के विविध आयाम, पूर्वोक्त, पृष्ठ १६५.
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