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वर्तमान समय में जैन विद्या के शीर्षस्थ विद्वानों में प्रो० रमणलाल ची० शाह का प्रमुख स्थान है। उनके द्वारा अब तक अनेक महत्त्वपूर्ण लिखे जा चुके हैं। कई महत्त्वपूर्ण प्राचीन ग्रन्थों का उन्होंने सम्पादन किया है। उनके निर्देशन में विभिन्न शोधप्रबन्ध तैयार हुए हैं। प्रस्तुत पुस्तक में प्रो० शाह ने विभिन्न आगमों से भगवान् महावीर के १५ वचनों का संकलन कर उनकी अलग-अलग १५ अध्यायों के रूप में व्याख्या की है। प्रथम अध्याय में भगवान् के वचन- काले कालं समायरे अर्थात् "उचित समय पर सही कार्य कर लेना चाहिए" का विस्तृत विवेचन किया गया है। महावीर का उक्त वचन उत्तराध्ययनसूत्र के प्रथम अध्ययन का है। इसी प्रकार इस पुस्तक का द्वितीय अध्याय महावीर के वचन "णाइवेलं वएज्जा" पर आधारित है। भगवान् का यह उपदेश सूत्रकृतांग के चौदहवें अध्ययन में संकलित है।
___ इस पुस्तक के अध्ययन से यह स्पष्ट हो जाता है कि भगवान् ने आज से ढाई हजार पूर्व जो उपदेश दिये थे, वे आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने पूर्व में थे और भविष्य में भी उनकी इसी प्रकार से उपयोगिता बनी रहेगी। यदि हम सभी उनके वचनानुसार अपना जीवन निर्माण करें तो विश्व की सभी समस्याओं का स्वत: ही निराकरण हो जायेगा, इसमें सन्देह नहीं है।
प्रकाशना किरणें : प्रवचनकार- आचार्य विजयरामचन्द्रसूरि; सम्पादक- गणि नयवर्धनविजय जी; प्रकाशक- श्री भारतवर्षीय जिनशासनसेवा समिति द्वारा मिलन भाई के० शाह, ३, प्रतीक अपार्टमेण्ट, योगेश्वरनगर सोसायटी, धरणीधर देरासर रोड, पालड़ी, अहमदाबाद-७, द्वितीय संस्करण १९९९ ई०, आकार- डिमाई, पृष्ठ १२+१२०; मूल्य ३५/- रुपये।
प्रस्तुत पुस्तक आचार्य रामचन्द्रसूरि द्वारा ६० वर्ष पूर्व बालदीक्षा के समर्थन में दिये गये व्याख्यानों के संकलन की द्वितीय आवृत्ति है जिसे गणि नयवर्धन विजयजी ने सम्पादित किया है। चार अध्यायों में विभाजित इस पुस्तक में आचार्यश्री ने बालदीक्षा के विरोधीजनों के प्रत्येक आक्षेपों का अपनी ओर से शास्त्रोक्त प्रमाणयुक्त उत्तर दिया गया है। गुजराती भाषा में लिखित इस पुस्तक का मुद्रण नयनाभिराम व साज-सज्जा आकर्षक है।
सिध्धी-साधना-संकल्प (अहिंसा, शाकाहार एवं जीवदया से सम्बद्ध लेखों का संग्रह), संकलक- डॉ० हर्षा जोशी; प्रकाशक- श्री नवदर्शन पब्लिक चैरीटेबल ट्रस्ट, पार्श्वनगर काम्प्लेक्स, सगरामपुरा, सुरत ३९५००२, प्रथम संस्करण २००० ई०; आकार- डिमाई; पृष्ठ १४+६४; मूल्य- सदुपयोग।
प्रस्तुत पुस्तक में कुल २२ लेखों का संकलन है। ये सभी लेख हिंसा निवारण, जीवदया, शाकाहार, वैद्यकीय चिकित्सा पद्धति की उपयोगिता, पर्यावरण, व्यसन मुक्ति,
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