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________________ ४७ महत्त्वपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं। भीनमाल के एक अन्य विद्वान् धाहिल ये का भी उल्लेख मिलता है जिन्होंने पउमसिरीचरिउ नामक ग्रन्थ रचा है। ये १०वीं शताब्दी में हुए थे।५° हिन्दी राजस्थानी के अन्य ग्रन्थ- जालोर मण्डल में कुछ ग्रन्थ हिन्दी मिश्रित राजस्थानी में भी रचे गये हैं जिनका संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है प्रसिद्ध विद्वान् समयसुन्दर जी के ग्रन्थ व्रतरत्नाकरवृति, चम्पक श्रेष्ठीचौपाई, सांचोरमण्डलवीरस्तवन और क्षुल्लककुमाररास; लक्ष्मीतिलक उपाध्याय का शान्तिनाथदेवरास, धर्मसमुद्रगणि का सुमित्रकुमाररास (१५१० ई०) भोजप्रबन्ध (१५९४ ई.) आदि ग्रन्थ जालोर की देन हैं। कवि दामी भी प्रसिद्ध विद्वान् हुए हैं। उन्होंने मदनशतक (१६६९ ई.) मदननरिंदचौपाई आदि प्रसिद्ध ग्रन्थों की रचना जालोर में ही की थी। संस्कृत प्राकृत ग्रन्थ५१- जालोर क्षेत्र में जैन आचार्यों ने संस्कृत-प्राकृत के सैकड़ों ग्रन्थों की रचना की। राजस्थान प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर में ऐसे अनेक ग्रन्थ संकलित हैं जो संस्कृत एवं प्राकृत भाषा में हैं और जिनकी रचना जालोर मण्डल में हुई। ये सभी ग्रन्थ अभी तक अप्रकाशित हैं। इनमें से कुछ ग्रन्थों की प्रतिलिपि जालोर में की गई थी। पुरातात्त्विक स्रोत (१) शिलालेख- जालोर मण्डल में जैनधर्म सम्बन्धी शिलालेख बहुतायत से मिलते हैं, जिन्हें देवदत्त रामकृष्ण भण्डारकर, पूरणचन्द नाहर, जैक्सन, मुंशी देवी प्रसाद और रामवल्लभ सोमानी ने प्रकाशित किया है। ये सभी शिलालेख प्रायः देवनागरी लिपि एवं संस्कृत भाषा में हैं। उनमें कई बार स्थानीय शब्दों एवं विक्रम संवत् की तिथियों का प्रयोग हुआ है। जालोर क्षेत्र के शिलालेखों को मोटे रूप में चार श्रेणियों५२ में बांटा जा सकता है, जो इस प्रकार है१. प्रतिमा स्थापना, मन्दिर निर्माण, जीर्णोद्वार सम्बन्धी लेख। २. मन्दिर की व्यवस्था हेतु अनुदान सम्बन्धी शिलालेख। इनमें मन्दिरों की प्रतिदिन पूजा और उत्सव निमित्त व्यवस्था का उल्लेख मिलता है। ३. ऐतिहासिक शिलालेख- इनमें इतिहास सम्बन्धी तथ्य मिलते हैं। ४. धर्म संघ के यात्रा सम्बन्धी शिलालेख-जालोर क्षेत्र में प्रथम तीन श्रेणियों के शिलालेख अधिक मिलते हैं। जालोर जिला से प्राप्त जैन शिलालेखों का विवरण इस प्रकार है Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525043
Book TitleSramana 2001 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2001
Total Pages176
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size8 MB
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