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२५ प्ररवर तेजस्वी वक्ता : संवत् १९५१ के वर्षावास की समाप्ति के बाद पुण्य प्रतिभा के धनी आचार्यश्री कमलसूरीश्वर जी म. ने ईडर के कुंभारियाजी तीर्थ यात्रा संघ को निश्रा प्रदान की और वहां से माणसा, पेथापुर, बीजापुर आदि स्थलों में धर्मोपदेश देते हुए कपडवज पधारे जहां १९ वर्षीय मुनिश्री लब्धिविजय जी को पहली बार गुरु कृपा से व्याख्यान पीठ की आसंदी मिली। इस पवित्र आसंदी से मुनिश्री ने भाव-दया की सुंदरतम् व्याख्या की जिसे सुनकर श्रोता अत्यंत मुग्ध हए और वहीं से मुनिश्री ने अपने को शासन का उद्योतकार होने का परिचय दिया। मुनिश्री के कंठ की मधुरता एवं स्वर की बुलंदता, विषय का रोचक, सरल व सहज प्रतिपादन आकर्षक था। दीक्षा पर्याय के दूसरे ही वर्ष में अपनी अगाध गुरु भक्ति, ज्ञानार्जन एवं संयम धर्म के विकास में उन्नतता पर मुनिश्री लब्धिविजय जी ने अपना हस्ताक्षर किया, बड़ोदरा के चातुर्मास में मुनिश्री ने आगम अध्ययन, सारभूत तत्व बोधक प्रकरणों का अभ्यास किया। इन्हीं दिनों प्रकरणों के जानकार, द्रव्यानुयोग के अनुभवी गोकुल भाई के साथ तत्व चर्चा का प्रसंग चलता और तत्व ज्ञान आदि अनुभवों का आदान-प्रदान महत्वपूर्ण रहा। मुनिश्री की धारणशक्ति, कुशाग्रबुद्धि और तीव्र तर्क प्रतिभा के परिचय से वयोवृद्ध गोकुल भाई को भारी आश्वर्य हुआ। पारखी गोलकुल भाई ने पू. आचार्य श्री कमलसूरीश्वर जी म० से बाल मुनिश्री लाब्धि विजय जी की कुशाग्रता से अपनी प्रभावकता की खुले हृदय से चर्चा की। आनंद बाहर नहीं : गोमती के किनारे १८ मंदिरों से शोभित लखनऊ नगर में मनि श्री लब्धिविजय जी ने एक गोष्ठी में धनंजय मिश्रा के प्रश्नोत्तर में कहा भाई आनंद की प्राप्ति बाहर से नहीं बल्कि स्वयं के अंदर में झांकने से हो सकती है। जितना हम आत्म चिंतन करेंगे उतना ही सच्चा आनंद अनुभव किया जा सकेगा। हर क्षण शुभ है : अजीमगंज में मुनिश्री लब्धिविजय जी के तत्वज्ञान से परिपूर्ण व्याख्यान में एक बार बाबू धनपत सिंह जी के परिवारिक सदस्य सर सुरपत सिंह जी ने प्रश्न किया “ पूज्य श्री, धर्मानुष्ठान का कौन सा मुहुर्त, अवसर शुभ होता है।' यह उनका एक स्वाभाविक प्रश्न था। मुनिश्री ने बड़ी ही सहजता से कहा “अवसर की तलाश में मत रहो, बुद्धिमानों के लिए हर समय अवसर है। मुहूर्त निकालने, साथी ढूंढ़ने और सहारा बनाने में समय न व्यर्थ न गंवाओ। प्रत्येक क्षण शुभ है। अशुभ है तो केवल मनुष्य का संशय जो आशा निराशा में डोलते रहता है। आज का दिन हर भले काम के लिए उपयुक्त है। जो शुभ है उसे शीघ्र किया जाना चाहिए। देर तो उसमें करना चाहिए जो
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