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१२५ के निदेशक प्रो० भागचन्द्र जैन ने विद्यापीठ की भावी योजनाओं पर प्रकाश डाला। प० आचार्यश्री ने विद्यापीठ में चल रहे कार्यों की सराहना करते हुए इसकी गतिविधियों को और व्यापक स्वरूप प्रदान करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि आज ज्ञान के साथ-साथ क्रिया भी जरूरी है। चरित्र निर्माण शिक्षा का अनिवार्य अंग होना चाहिए। डॉ० भागचन्द्र जैन के संस्थान के प्रति समर्पणभाव की भी आचार्यश्री ने भूरि-भूरि प्रशंसा की और कहा कि उनके ही अथक प्रयत्नों से इन दोनों भवनों का निर्माण संभव हो सका है।
श्री रतनलाल मगनलाल देसाई, कलकत्ता, डॉ० किशोरभाई शाह, बम्बई; श्रीमती पद्माधर्मेन्द्र गांधी, बम्बई; श्रीमती मयूरी अजयभाई शाह, अहमदाबाद; श्री अजीत समदरिया, जबलपुर; श्री भूपेन्द्रनाथ जैन, श्री रमेशचन्द्र बरड़, फरीदाबाद, सदस्य प्रबन्ध समिति; श्री वेलजीभाई शाह और श्री प्रफुल्लभाई शाह का विद्यापीठ की ओर से शाल, प्रतीक चिह्न और श्रीफल देकर बहुमान किया गया।
इस अवसर पर पार्श्वनाथ विद्यापीठ के प्रकाशनों - जिनवाणी के मोती, अष्टकप्रकरण (हिन्दी-अंग्रेजी) अनुवाद तथा श्रमण के जनवरी-जून अंक का विमोचन किया गया। इस समारोह में भाग लेने हेतु इलाहाबाद से प्रबन्ध-समिति के सदस्य श्री तिलकचन्द जैन, उनके अनुज प्रो० एस०के० जैन एवं प्रो० जे० डी० जैन पधारे। समारोह में उपस्थित अन्य गणमान्य व्यक्तियों में प्रो० बी० एम० शुक्ला, पूर्व कुलपति, गोरखपुर वि०वि०; प्रो० आर०सी० शर्मा, निदेशक-ज्ञानप्रवाह, प्रो० कानूनगो, प्रो० जे०पी० सिंह, नेहु, शिलांग; प्रो० आर०आर० पाण्डेय, प्रो० डी० गंगाधर, प्रो० माहेश्वरी प्रसाद, प्रो० राजमणि शर्मा, प्रो. रामायणप्रसाद द्विवेदी, डॉ० बशिष्ठनारायण सिन्हा, डॉ० मारुतिनन्दन तिवारी, डॉ० श्रीमती कमल गिरि, डॉ० फूलचन्द जैन, डॉ० कमलेश कुमार जैन, डॉ० शितिकण्ठ मिश्र, डॉ० मुकलराज मेहता आदि उपस्थित थे। बनारस जैन समाज के भी श्री राजेन्द्रकुमार गांधी, श्री प्रवीण गांधी, श्री पारसमल भंडारी, श्री शेषपाल जैन, श्री सतीशचन्द जैन आदि उपस्थित थे। समारोह में भोजन का प्रबन्ध स्व० लाला हरजसराय जैन परिवार, फरीदाबाद की ओर से किया गया। बनारस पार्श्वनाथ जीर्णोद्धार ट्रस्ट के अध्यक्ष कुँवर विजयानन्द सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. अशोककुमार सिंह ने किया। समारोह का समापन पूज्य आचार्यश्री के मांगलिक से हुआ।
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