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संस्थान में पधारे और इसे देखकर मंत्रमुग्ध से हो गये। इस अवसर पर संस्थान के सभी कार्यकर्ताओं एवं छात्रों ने उनका हार्दिक स्वागत किया और उन्हें संस्थान द्वारा प्रकाशित साहित्य भेंट किया गया।
आचार्यश्री राजयशसूरीश्वर जी म० सा० की दो शिष्यायें पिछले जुलाई माह से संस्थान के परिसर में अध्ययनार्थ विराज रही हैं। संस्थान के निदेशक निरन्तर आचार्यश्री से सम्पर्क बनाये रखते हुए संस्थान के चातुर्दिक विकास की रूपरेखायें बना रहे हैं। इसी क्रम में विक्रमसूरीश्वरस्मृतिग्रन्थ तथा श्रमण का "श्रीलब्धिसूरीश्वर स्मृति अंक" निकालने का भी निश्चय किया गया। इसी तरह यशोविजयजैन ग्रन्थमाला की स्थापना कर ५१ लाख रुपयों का एक ध्रौव्यकोश बनाने के प्रकल्प पर विचार हुआ है जिसे प्रबन्ध समिति के पास सम्मति हेतु भेज दिया गया।
३१ अगस्त को सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी में संस्कृत वर्ष के म्पलक्ष्य में पन्द्रह दिवसीय संस्कृतशास्त्र प्रशिक्षण शिविर लगाया गया जिसमें "ईश्वरस्य जगन्निमित्तकार्णत्वं' विषय पर व्याख्यान देने के लिये निदेशक महोदय को निमंत्रित किया गया और १३ सितम्बर को शिविर के समापन के अवसर पर उनका सम्मान भी किया गया। इसी सप्ताह वाराणसी स्थित श्वेताम्बर और दिगम्बर मंदिरों में क्षमापना दिवस मनाया गया जिसमें संस्थान के शोधक विद्वान् सम्मिलित हुए। १६ सितम्बर को सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो० राममूर्ति शर्मा की अध्यक्षता में वहां प्रो० जगन्नाथ उपाध्याय स्मृति समारोह का आयोजन किया गया जिसमें संस्थान के निदेशक प्रो० भागचन्द्र जैन ने मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया। १७ सितम्बर को उन्होंने स्याद्वाद महाविद्यालय में आयोजित वर्णी जयन्ती समारोह की अध्यक्षता की जिसमें आचार्यश्री राजयशसूरीश्वर जी का भी प्रवचन हुआ।
संस्थान में १८ सितम्बर को हंसराजनरोत्तमव्याख्यानमाला आयोजित की गयी। व्याख्यान विषय था - जैनधर्म और सामाजिक चेतना। इसीदिन प्रस्तावित जैनविश्वकोष सम्बन्धी भी बैठक हुई जिसमें सम्मिलित होने के लिये संस्थान के सहसचिव श्री इन्द्रभूति बरड़, वाराणसी पधारे। श्री बरड़ के साथ सुप्रसिद्ध अर्थशास्त्री प्रो० टी०आर० जैन (फरीदाबाद) और डॉ० प्रेमचन्द्र गाड़ा (अमेरिका) भी पधारे। संस्थान के मार्गदर्शक प्रो० सागरमल जैन का भी इस अवसर पर शुभागमन हुआ। १९ सितम्बर को प्रात:काल संस्थान में विद्वत् परिषद की एक बैठक हुई और दोपहर में इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र में कलाकोश के सम्बन्ध में एक बैठक हुई जिसमें निदेशक महोदय ने भाग लिया। २१ सितम्बर
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