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________________ शुब्रिंग महोदय द्वारा सम्पादित आचाराङ्ग और इसि भासियाइं की भाषा की तुलना ( एक नमूने के तौर पर विश्लेषण) के. आर. चन्द्र आचाराङ्ग के प्रथम श्रुतस्कन्ध का और ऋषिभाषितानि ( इसिभासियाइं ) की नयी पद्धति से सुव्यवस्थित सम्पादन प्रो० वाल्थर शुब्रिंग' के द्वारा किया गया है परन्तु दोनों ही ग्रन्थों के संस्करणों में भाषा सम्बन्धी काफी अन्तर है । आचाराङ्ग का प्रथम श्रुतस्कन्ध श्वेताम्बर जैनों का सबसे प्राचीन ग्रन्थ माना जाता है और इसिभासियाई की भी प्राचीन ग्रन्थों में गिनती होती है परन्तु उसकी रचना का समय आचाराङ्ग से परवर्ती काल का माना जाता है। इस दृष्टि से आचाराङ्ग की भाषा इसिभासियाई की भाषा से पूर्ववर्ती काल की होनी चाहिए थी परन्तु शुब्रिंग महोदय के संस्करणों से ऐसा साबित होता है कि इसिभा० की भाषा आचा०२ से पुराने स्तर की है। इस तथ्य को प्रकट करने वाले सिर्फ कुछ ही शब्दद- प्रयोग यहाँ पर दोनों ग्रन्थों में से नीचे दिये जा रहे हैं जिससे स्पष्ट हो जाएगा कि ब्रिंग महोदय के आचाराङ्गर की प्राकृत भाषा बिलकुल महाराष्ट्री प्राकृत है। जबकि इसिभासियाई की भाषा महाराष्ट्री प्राकृत से प्राचीन पालि और अशोक के शिलालेखों की भाषा से मिलती जुलती (शब्दों में मिल रहे वर्णों की दृष्टि से) है। शब्दों की तुलनात्मक तालिका आचा● प्रथम श्रुत-स्कन्ध अध्ययन ( उद्देशक और गाथा नं ० ) १. Acaranga - Sūtra, Erster Srutas Kandha, Leipzig, 1910, Isibhāsiyāim, L. D. Instt. of Indology, Ahmd. 1974. आचा०=आचाराङ्ग; इसिभा ० = इसिभासियाई. प्रथम श्रुत-स्कन्ध के मात्र अध्याय नं० ९ से ही यहाँ पर शब्द प्रयोग लिए गए हैं। २. ३. इसिभा ० ( अध्ययन, पृष्ठ और पंक्ति नं०) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525040
Book TitleSramana 2000 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2000
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size10 MB
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