SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 219
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २१० महाजीवन की खोज मुनिश्री चन्द्रप्रभ सागर, वर्ष १९९८ ई०, पृष्ठ ६+१६२, आकार२५ रुपये। - प्रकाशक- - उपरोक्त, डिमाई, पक्की बाइंडिंग, मूल्य प्रकाशन पंछी लौटे नीड़ में मुनिश्री चन्द्रप्रभसागर, प्रकाशकवर्ष १९९८ ई०, पृष्ठ ८+१६२, आकार२५ रुपये। उपरोक्त, प्रकाशन डिमाई, पक्की बाइंडिंग, मूल्य न जन्म न मृत्यु मुनिश्री चन्द्रप्रभ सागर, प्रकाशक- उपरोक्त, प्रकाशन वर्ष १९९८ ई०, पृष्ठ १०+१८७, आकार- डिमाई, पक्की बाइंडिंग, मूल्य ३० रुपये । महागुहा की चेतना महो० श्री ललितप्रभसागर, प्रकाशकउपरोक्त, प्रकाशन वर्ष १९९८ ई०, पृष्ठ ६+२२८, आकार- डिमाई, पक्की बाइंडिंग, मूल्य २५ रुपये। झरे दसहुँ दिश मोती महो० श्री ललितप्रभ सागर; प्रकाशकउपरोक्त, प्रकाशन वर्ष १९९९ ई०, पृष्ठ ८+२१०, आकार - डिमाई, पक्की बाइंडिंग, मूल्य ३० रुपये | Jain Education International - महोपाध्याय ललितप्रभसागर और मुनिश्री चन्द्रप्रभसागर श्रमण परम्परा के देदीप्यमान नक्षत्र हैं। उनकी लेखनी से अब तक सैकड़ों ग्रन्थ निःसृत हो चुके हैं। प्रवचन कला में सिद्धहस्त मुनिद्वय के उपरोक्त ग्रन्थ विभिन्न अवसरों पर उनके द्वारा दिये गये प्रवचनों के संग्रहरूप हैं। गूढतम विषयों को विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से जनसामान्य को समझा देना इनकी विशेषता है। मुनिद्वय के प्रवचनों के प्रकाशित हो जाने से अन्य लोग भी उनसे लाभ उठा सकेंगे । आपके पूर्व के ग्रन्थों की भाँति इन ग्रन्थों का भी समाज में भरपूर स्वागत होगा, इसमें सन्देह नहीं है । प्रत्येक ग्रन्थ की साज-सज्जा अत्यन्त आकर्षक व मुद्रण कलापूर्ण है। जनसामान्य में प्रचार-प्रसार की सुविधा हेतु इनका मूल्य भी अत्यल्प है। ऐसे सुन्दर प्रवचनों को प्रकाशित करने के लिये प्रकाशक और इसमें अर्थ सहयोगी दोनों ही बधाई के पात्र हैं। मानवता के मानदण्ड (आचार्य देवेन्द्र मुनि के प्रवचनों का संग्रह) : सम्पादकपण्डितरत्न श्री नेमीचन्द्र जी महाराज, प्रकाशक - श्रीतारक गुरु जैन ग्रन्थालय, गुरु पुष्कर मार्ग, उदयपुर, राजस्थान, प्रथम संस्करण १९९८ ई०, आकार - डिमाई, पक्की जिल्द, पृ० १६+४०४; मूल्य १२५/- रुपये । प्रस्तुत पुस्तक आचार्य श्री देवेन्द्रमुनि शास्त्री द्वारा समय-समय पर दिये गये For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525040
Book TitleSramana 2000 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2000
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy